
नयी दिल्लीः वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कानून में ऐसा प्रावधान किया जा रहा है कि जिन वस्तुओं या सेवाओं पर कर घटाया जाएगा, उनका लाभ मुनाफाखोर न उठा पाएं और वह सीधा उपभोक्ता तक पहुंचे। इस प्रावधान को शामिल करने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद की 18 फरवरी को उदयपुर में होने वाली 10वीं बैठक में लिया जाएगा। इस प्रावधान के तहत एक ऐसा प्राधिकरण बनाया जायेगा जो कि जीएसटी व्यवस्था में उत्पादों पर मिलने वाले कर क्रेडिट पर गौर करेगा और देखेगा कि इसका संबंधित उत्पाद अथवा सेवाओं के मूल्य में भी उसी के अनुरूप कमी आई है अथवा नहीं। वित्त मंत्री अरुण जेटली के नेतृत्व वाली बैठक में ‘कृषि’ और ‘कृषक’ की परिभाषा को भी अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है। इस बैठक में विवादों के निपटारे के लिये एक ‘राष्ट्रीय वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण’ के गठन पर भी निर्णय लिया जायेगा। अधिकारियों ने कहा कि कानून मंत्रालय ने जीएसटी कानून का आदर्श मसौदा पढ़कर लौटा दिया है। इसमें बताया गया है कि नया राष्ट्रीय बिक्री कर कानून किस प्रकार से वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जायेगा। कानून मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त कानूनी भाषा और मसौदे पर पहले जीएसटी परिषद की उप समिति में चर्चा होगी। उप-समिति में केन्द्र और राज्यों के अधिकारी शामिल हैं। उप-समिति इस पर शुक्रवार को चर्चा करेगी।
ऐसे समझें
एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुये कहा कि किसी वस्तु अथवा सेवा पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है, लेकिन इसकी आपूर्ति होते होते इस पर 20 प्रतिशत कर चुकाया जा चुका है, जिसके लिये इनपुट क्रेडिट लिया गया। इसलिये अंतिम उपभोक्ता से इस पर केवल 5 प्रतिशत ही कर लिया जाना चाहिये न कि 25 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाना चाहिये, क्योंकि 20 प्रतिशत इनपुट क्रेडिट इस पर लिया जा चुका होगा।
तो मार्च में संसद में पेश होगा
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यदि जीएसटी के संशोधित मसौदे को शनिवार की बैठक में मंजूरी मिल जाती है तो फिर सरकार संबंधित विधेयक को चालू बजट सत्र के मार्च में दूसरे चरण में संसद में पेश करने का प्रयास करेगी। सरकार जीएसटी को एक जुलाई से अमल में लाना चाहती है लेकिन इसके लिये उसे दो विधेयक संसद में पारित करने होंगे। एक विधेयक केन्द्रीय जीएसटी होगा और दूसरा अंतरराज्यीय कारोबार के लिये एकीकृत जीएसटी पारित कराना होगा। सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी राज्य जीएसटी पारित कराना होगा।