
नयी दिल्लीः खादी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख ‘ भारतीय ब्रांड’ के रूप में सरकार स्थापित करना चाहती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ही इस ब्रांड का प्रचार कर सकेगा और खादी ब्रांड पर उसका ही दावा होगा।
क्या होगा लाभ
उन विदेशी कंपनियों को इससे दिक्कतें हो सकती हैं जो खादी को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराने की कोशिश में लगी हैं। जर्मनी की एक कंपनी खादी नेचरप्रोडक्ट जीबीआर ने यूरोपीय संघ की एजेंसी ऑफिस फोर हार्मनाइजेशन इन दी इंटरनल मार्केट के पास खादी को ट्रेडमार्क के रूप में पंजीकृत कराया है। मार्च 2019 में समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार की मुहिमों के दम पर खादी उत्पादों की बिक्री में भारी उछाल की उम्मीद है।
ब्रांडिंग को लेकर बैठक
पिछले सप्ताह वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में विभिन्न मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई। इसमें खादी को एक विशिष्ट भारतीय ब्रांड के तौर पर बढ़ावा दिये जाने के लिये रणनीति तैयार करने और खादी उत्पादों का निर्यात बढ़ाने पर विचार किया गया। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) सचिव अरुण कुमार पांडा का कहना है कि हमें समुचित ब्रांडिंग की जरूरत है। खादी को आप एक बार एक ऐसे भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित करना शुरू करेंगे जिसके ऊपर सिर्फ केवीआईसी अपना होने का दावा करे तो अन्य लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे। वाणिज्य मंत्रालय के पास ब्रांडिंग से संबंधित संस्थागत प्रणाली भी है। वे खादी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने में मदद करने वाले हैं।