ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट में महिला सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगा

नई दिल्ली : महिला यात्रियों कि सुरक्षा और मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार से ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विस को कंट्रोल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कानून बनाने को कहा है। महिला सुरक्षा से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने कहा कि ओला-उबर जैसी टैक्सी सेवाओं पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि वह इस मसले पर सुझाव सरकार को सौंपने को कहा है। हालाँकि इस से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट देखेगा कि ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जा सकता है। अगर कंपनी का ड्राइवर महिला के साथ कोई अपराध करता है तो कंपनी की जवाबदेही और पीड़ित को मुआवजा कैसे मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जाए, इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा था। इस मामले में एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने ये सुझाव दिया था कि उबर, ओला समेत सभी ऐप बेस्ड सर्विस को लेकर मैकेनिज्म तैयार किया जाए। लंदन में उबर पर रोक भी लगाई गई थी।

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने साल 2006 में रेडियो टैक्सी योजना शुरू की थी और साल 2010 में इकोनॉमी रेडियो टैक्सी योजना की शुरुआत की गई थी, जिनके लिए दिशा-निर्देश भी बनाए गए थे। इसके तहत ईजी कैब, मेगा कैब, मेरू कैब, चैनसन कैब, यो कैब तथा एयर कैब की लगभग 5100 टैक्सियां चल रही हैं।

सरकार ने टैक्सी कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए कम से कम 500 टैक्सी तथा पार्किंग की जगह अनिवार्य की है। साथ ही टैक्सी में जीपीएस होना भी अनिवार्य है। रेडियो टैक्सी ऑपरेटर और कॉल सेंटर पर यात्री शिकायत दर्ज का इंतजाम होना भी जरूरी किया है, लेकिन ज्यादातर कंपनियां यह सुविधा नहीं दे रही हैं बल्कि यहां शिकायत ऑनलाइन दर्ज करानी पड़ती है।

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