
नई दिल्ली : अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) ने कहा है कि डेवलपर किसी भूमि पर बिजली-पानी और ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया करा के उसे प्लॉट के रूप में बेचता है, तो उस पर जीएसटी का देना पड़ेगा। एएआर ने कहा है कि प्लॉट पर ये सुविधाएँ देने के बाद यह कांप्लैक्स निर्माण के तहत आने वाले नियम के तहत ही बिकेगा।
जानकारों का कहना है कि इस नए निर्णय से रियल एस्टेट सेक्टर पर नकारात्मक असर होगा। अब तक डेवलपर विकसित भूमि बिना टैक्स के बेचते आए हैं, लेकिन नए नियम के बाद विकसित प्लॉट को कंप्लैक्स के निर्माण की कैटेगरी में रखा जाएगा और इसे कंस्ट्रक्शन सर्विसेज में गिना जाएगा और विकसित भूमि की बिक्री पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। एएआर का कहना है कि विकसित भूमि को प्लॉट की तरह बेचने पर डेवलपर को मिलने वाले दाम में जमीन की कीमत, सुविधाएं स्थापित या मुहैया कराने का शुल्क भी शामिल होता है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन का कहना है कि इस फैसले का रियल एस्टेट पर सीधा और गंभीर नकारात्मक असर होगा, दरअसल जीएसटी की अवधारणा ही सिर्फ चल वस्तुओं पर टैक्स की है। अचल संपत्ति होने के नाते विकसित भूमि पर जीएसटी का कोई प्रावधान नहीं है और एएआर का यह फैसला ऊपरी अदालतों ख़ारिज भी हो सकता है।