
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा है कि बैंक को उन नियमों पर विचार करना चाहिए, जो बड़े कॉरपेारेट घरानों को बैंकों का प्रमोटर्स बनने में रुकावट डालते हैं। बैंकिंग मॉडल पर ध्यान देने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ बैंकों में किसी एक निकाय को हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से ज्यादा करने की मंजूरी दी जानी चाहिए। गांधी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में बड़ी पूंजी के स्रोतों को प्रवेश देने पर विचार करना चाहिए, इससे बड़ी परियोजनाओं की मदद होगी।
गांधी ने कहा कि बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन को लेकर खुली व्यवस्था चार साल से चल रही है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।एक प्रमोटर्स या रणनीतिक निवेशक के लिये 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बैंक और बैंकिंग उद्योग के लंबे फायदे के लिए सही होगी।