डॉक्टर के मकान को किराये पर ले रखा था गिरोह के सदस्यों ने
विभिन्न देश और राज्यों में फैला है गिरोह का नेटवर्क
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : विदेश भेजने के नाम पर कोलकाता में युवकों का अपहरण कर परिजनों से करोड़ों रुपये की वसूली के मामले में पुलिस को कई महत्वपूर्ण तथ्य हाथ लगे हैं। पुलिस के अनुसार यह गिरोह एक प्लेसमेंट एजेंसी के तौर पर चलाया जाता था। सूत्रों के अनुसार कोलकाता के अलावा बंगलुरु, हैदराबाद सहित अन्य शहरों में भी युवकों को ले जाकर उनका अपहरण किया जाता था। अपहृत युवकों के परिजनों को विदेश का लोकेशन शेयर किया जाता था। इसके अलावा विदेशी मोबाइल नंबरों से उन्हें युवकों से बातचीत कराया जाता था। ऐसे में पुलिस का अनुमान है कि विदेशों में भी इस गिरोह के सदस्य मौजूद हैं। पुलिस जल्द ही अभियुक्तों तक पहुंचेगी।
क्या है पूरा मामला
पुलिस सूत्रों के अनुसार हरियाणा के करनाल के रहनेवाले राहुल कुमार को अमरीका में नौकरी दिलाने के नाम पर कोलकाता बुलाया गया था। वह पानीपत से दिल्ली से फ्लाईट पकड़कर कोलकाता पहुंचा था। कोलकाता पहुंचने के बाद उससे सम्पर्क परिवार का टूट गया था। पुलिस के अनुसार दिल्ली के एक एजेंसी ने अमरीका में नौकरी दिलाने के नाम पर राहुल से संपर्क किया था। राहुल अभी बीए सेकेंड ईयर का छात्र है। एजेंसी के लोगों ने उसे 48 लाख रुपये देने पर विदेश में नौकरी दिलाने की बात कही थी। जालसाजों की बातों में आकर उसके परिजन उन्हें रुपये का एक किस्त दे दिया था। कोलकाता से उसे दोहा और दुबई के रास्ते अमरीका भेजने की बात कही गयी थी। इस बीच सितंबर महीने की शुरूआत से परिजनों का उससे संपर्क नहीं होने पर उसके पिता खोजते हुए कोलकाता पहुंचे। ऐसा बताया जा रहा है किपहले तो उन्होंने थाने में शिकायत नहीं की। हालांकि इस बीच विधाननगर पुलिस ने अपनी जांच चालू रखी। बाद में यहां की पुलिस के कहने पर हरियाणा से राहुल के पिता ने ईमेल कर पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने उक्त शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी। बाद में रविवार को कोलकाता एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ कर्मियों की मदद से पुलिस ने राहुल सहित 10 युवकों को उद्धार किया। राहुल से पूछताछ करने पर पुलिस को पूरे घटना के बारे में जानकारी मिली। राहुल ने पुलिस को बताया कि वह दोहा जाने के लिए कोलकाता आया था। कोलकाता आकर एक होटल में ठहरने पर कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। इसके बाद उसे न्यू टाउन के फ्लैट में ले जाकर बंधक बना लिया। आरोप है कि अभियुक्तों ने उसे रिहा करने के एवज में उसके परिजन से 40 लाख रुपये फिरौती के तौर पर वसूल लिए। फिरौती की रकम मलने के बाद अपहरणकारियों ने राहुल को छोड़ दिया। राहुल के अलावा और 18 लोगों को अभियुक्तों ने इसी तरह शिकार बनाया था। राहुल की निशानदेही पर पुलिस ने 18 युवकों का उद्धार किया।
क्या कहना है डीसी डीडी का ? विधाननगर कमिश्नरेट के डीसी डीडी विश्वजीत घोष ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के युवकों को अमरीका में नौकरी दिलाने के नाम पर कोलकाता लाया गया था। युवकों के परिजनों से अभियुक्तों ने लाखों रुपये लिए थे। 18 युवकों को कोलकाता लाने के बाद एयरपोटर्च के निकट दो होटलों में रखा गया बाद में उन्हें इको अर्बन विलेट के एक मकान में रखा गया। वहां पर 10 दिन तक उन्हें कैद करके रखा गया था। वहां से उद्धार किए गए 10 लोग मानसिक तौर पर अवसाद ग्रस्त होने के कारण उन्हें घर भेज दिया गया। बाकी लोगों को से पुलिस पूछताछ कर रही है। पुलिस मामले में अभियुक्तों को मकान किराये पर देने वाले एक डॉक्टर से पूछताछ कर रही है। डीसी डीडी ने बताया कि जालसाज युवकों के परिजनों का भरोसा जीतने के लिए युवकों को कोलकाता लाने के बाद उनका एक ऑडियो या वीडियो मैसेज रिकॉर्ड कराते थे। उसमें युवक कहते थे कि वे लोग अमरीका पहुंच गए हैं और वहां पर नौकरी कर रहे हैं । उन्हें कोई समस्या नहीं है । फिर उन मैसेज को विदेश के मोबाइल नंबर के जरिए युवकों के परिजनों को भेजा जाता था। इसके बाद युवकों को सही सलामत रखने के नाम पर परिजनों से लाखों रुपये वसूलते थे। रुपये मिलने के बाद यह लोग अपहृत युवकों तो वापस घर भेज देते थे। फिलहाल पुलिस अभियुक्तों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।
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