सुनिश्चित करूंगा कि प्रशासन संविधान के दायरे में काम करे : डॉ. बोस

केंद्र व राज्य के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाने की कोशिश
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : डॉ. सी. वी. आनंद बोस पश्चिम बंगाल के नये राज्यपाल के तौर पर आ रहे हैं। मूल रूप से केरल के निवासी डॉ. बोस वर्तमान में मेघालय सरकार के एडवाइजर हैं। सिविल सर्वेंट, हाउसिंग एक्सपर्ट, लेखक व वक्ता होने के साथ ही डॉ. बोस भारत सरकार के सचिव, मुख्य सचिव और यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं। इसके अलावा बोस यूएन हैबिटाट गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी रह चुके हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर डॉ. बोस के नाम की घोषणा होने के बाद सन्मार्ग से उन्होंने खास बातचीत की। डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने अपनी भावी कार्य योजनाओं पर क्या कहा, आइये जानते हैं।
सवाल-पश्चिम बंगाल में आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी ?
जवाब – सबसे पहले मैं पश्चिम बंगाल को समझूंगा, यहां के हालातों पर अध्ययन करूंगा। इसके बाद मेरी प्राथमिकता यह देखने की हाेगी कि प्रशासन अपने कार्य संविधान के तहत करे। इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकार के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाने की कोशिश रहेगी। राज्यपाल की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि सरकार संविधान के दायरे के भीतर काम करे और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
सवाल – अलग उत्तर बंगाल, कूचबिहार व दार्जिलिंग जैसी मांगों के बीच कितनी चुनौतियां महसूस कर रहे हैें ?
जवाब – ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो। जरूरत है तो केवल सही तरीके से आगे बढ़ने की। एक साथ मिलकर सभी समस्याओं का समाधान संभव है। सभी को साथ लेकर काम करना सबसे जरूरी है। मैं वही कहूंगा या करूंगा जो संविधान के तहत है। राज्यपाल को रास्ता जानना होगा, दिखाना होगा और उस पर चलना होगा।
सवाल – केंद्र व राज्य सरकार के बीच घमासान कोई नयी बात नहीं है। इसे कैसे ठीक करेंगे ?
जवाब – राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेदों को विवाद की तरह नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि ‘विचारों में अंतर’ की तरह देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं। मुझे केंद्र तथा राज्य के बीच सेतु के रूप में काम करना होगा। उम्मीद है कि इसमें राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा। अगर किसी तरह का टकराव होता है तो उसका कोई ना कोई हल भी जरूर है। इससे संबंधित सभी को एकजुट होकर इसे ठीक करने की आवश्यकता है। राजभवन और राज्य सरकार एक-दूसरे की पूरक संस्थाएं हैं। संविधान के निर्माता निश्चित रूप से कोई दायित्वहीन पद सृजित नहीं करना चाहते थे। निश्चित रूप से एक उद्देश्य था। संविधान में राज्यपाल का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित है।
राज्य के लोगों के कल्याण के लिए करूंगा काम
डॉ. बोस ने कहा, ‘संविधान के तहत राज्य के लोगों के कल्याणा के लिए कार्य करूंगा। पश्चिम बंगाल के लोगों की सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जायेगा।’ उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के लोगों का होकर काम करना ही सबसे मुख्य है।’ राजभवन व राज्य सरकार के बीच चले आये विवाद पर डॉ. बोस ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के राजभवन में पहुंचकर मैं सब कुछ ठीक से जांच करूंगा, सब विश्लेषण करूंगा और इसके बाद ही जान सकूंगा कि किसी मुद्दे पर समस्या क्यों थी।’ उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल का कर्तव्य व अधिकार संविधान में स्पष्ट है। निर्वाचित राज्य सरकार के भी सांवैधानिक अधिकार हैं। मैं संविधान की मर्यादा रक्षा में राज्यपाल के तौर पर अपने कर्तव्यों का पालन करूंगा।’ डॉ. बोस के अनुसार, ‘लोकतंत्र में काम करने के दौरान टकराव हो ही सकता है। कई बार यह अनिवार्य भी हो जाता है, मत विरोध को लेकर विचलित नहीं होना चाहिये।’ राजभवन को भाजपा का पार्टी कार्यालय बनाने का आरोप कई बार सत्ताधारी पार्टी तृणमूल लगाती आयी है। इस पर डॉ. बोस ने कहा, ‘आरोप तो आरोप ही हैं। मैं संविधान और अपने विश्लेषणों के अनुसार राजभवन को संचालित करने की कोशिश करूंगा। इस मामले में सब निश्चिंत रह सकते हैं।’ यहां उल्लेखनीय है कि गत गुरुवार को नये राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस की घोषणा की गयी। फिलहाल उन्होंने पद भार ग्रहण नहीं किया है।

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