सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सरस्वती नदी का हाल बेहाल क्यों है, इसे लेकर एनजीटी ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता की ओर से सरस्वती नदी में प्रदूषण को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की गयी थी। सरस्वती नदी हुगली के त्रिवेणी से लेकर हावड़ा में सांकराइल तक 55 कि.मी. में फैली हुई है। हालांकि नदियों को बचाने को लेकर केंद्र की योजना नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के बावजूद पश्चिम बंगाल में बहने वाली ऐतिहासिक नदी सरस्वती अब लुप्त हाेने के कगार पर है। यह नदी हुगली के त्रिवेणी में गंगा और बांग्लादेश में जमुना से भी मिलती है। हालांकि नदी में कचरा फेंके जाने के कारण सरस्वती नदी में प्रदूषण का खतरा काफी बढ़ गया है। पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता ने इसे लेकर एनजीटी में मामला दायर किया था कि किस तरह यह नदी नाले का रूप लेती जा रही है।
1660 तक व्यवसाय के लिए मुख्य रूट थी यह नदी
किनारे में ताम्रलिप्त पोर्ट होने के कारण वर्ष 1660 तक सरस्वती नदी व्यवसाय का मुख्य रूट थी। हालांकि अत्यधिक गाद के कारण पोर्ट पूरी तरह बर्बाद हो गया। पूरे 55 कि.मी. तक फैली नदी में लगातार कचरा फेंकने और अतिक्रमण के कारण प्रदूषण काफी हद तक बढ़ गया है। इस कारण त्रिवेणी और सांकराइल में यह नदी अनुपचारित सीवेज को गंगा में ले जाने वाली एक निर्वहन नहर में बदल गई है। वहीं सरस्वती नदी के पुनरुद्धार को नेशनल मिशन फाॅर क्लिन गंगा (एनएमसीजी) के तहत कवर नहीं किया गया है। हावड़ा के अंकुरहाटी में एक निजी डेवलपर द्वारा काफी फ्लाई ऐश/मिट्टी नदी में फेंके जाने से यह ब्लॉक हो गयी है। इसके अलावा सड़क चौड़ी करने के नाम पर यहां अतिक्रमण की भरमार हो गयी है। सुभाष दत्ता ने अपनी एफिडेविट में कहा था, ‘सरस्वती में प्रदूषण के अन्य सभी मामलाें पर भी गौर करना चाहिये।’
एक्सपर्ट कमेटी ने बनायी थी यह रिपोर्ट
गत 18 मई को सरस्वती नदी को लेकर बनायी गयी एक्सपर्ट कमेटी ने अपर अथवा नॉर्थ सरस्वती नदी का दौरा किया था। इसके बाद जो रिपोर्ट बनायी गयी थी, उसमें कहा गया था कि बांसबेड़िया नगरपालिका से अनट्रीटेड सीवेज का डिस्चार्ज मुख्य समस्या है। यह आश्वस्त करना होगा कि किसी तरह का अनट्रीटेड सीवेज इस नदी में न गिरे। इसके अलावा कहा गया था कि रेलवे को रेलवे ब्रिज के निर्माण की अनुमति देने से पहले आईएण्डडब्लू (इरिगेशन एण्ड वाटरवेज) विभाग को फंड मुहैया कराना चाहिये ताकि रोजाना साफ-सफाई की जा सके।
क्या है एनजीटी का निर्देश
सुभाष दत्ता की याचिका पर एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लिन गंगा) को पार्टी बनाते हुए गत अप्रैल महीने में काउंटर एफिडेविट जमा करने को कहा गया था, लेकिन अब तक काउंटर एफिडेविट जमा नहीं की गयी। काउंटर एफिडेविट जमा करने के लिए गत अप्रैल महीने से गत 29 सितम्बर के बीच कई बार समय दिया गया, लेकिन 9 नवम्बर को सुनवाई में फिर एनएमसीजी द्वारा समय मांगा गया। हालांकि एनजीटी द्वारा आगे समय नहीं दिया गया और साथ ही एनएमसीजी के डायरेक्टर जनरल पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके साथ ही इस मामले में एनजीटी ने निर्देश दिया कि इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी विकास विभाग के अलावा सिंचाई, वाटरवे विभाग के अलावा केएमडीए व पूर्व रेलवे को भी पार्टी बनाया जाये। राज्य सरकार की ओर से काउंटर एफिडेविट दायर करने का निर्देश भी दिया गया व पूर्व रेलवे और केएमडीए को नोटिस जारी करने की बात भी कही गयी। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसम्बर को होने की संभावना है जिसमें राज्य सरकार को यह बताना होगा कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की गयी है।
सरस्वती नदी का हाल बेहाल क्यों, एनजीटी ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
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