कौन सा अपराधी शहर के किस इलाके में घूम रहा है, पलक झपकते ही पुलिस को चलेगा पता

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फेसरिकॉग्निशन कैमरा का फीड अब सभी पुलिस स्टेशनों को मिलेगा
मोबाइल पर ऐप इंस्टॉल करने पर पुलिस कर्मियों को मिलेगा अलर्ट मैसेज
शहर के विभिन्न इलाकों में लगाए गए 70 से अधिक अत्याधुनिक फेस रिकॉग्निशनकैमरे
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : अब महानगर घूमने वाले चोर और पॉकेटमारों की खैर नहीं है। इन पर नजर रखने के लिए कोलकाता पुलिस की ओर से इन दिनों संवेदनशील क्षेत्रों में तीसरी आंख की नजरदारी बढ़ायी जा रही है। खासतौर पर महानगर के विभिन्न इलाकों में कोलकाता पुलिस की ओर से अत्याधुनिक फेस रिकॉग्निशन कैमरे लगाये गए हैं। ये कैमरे फेस रिकॉग्निशन सिस्टम पर आधारित हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार कुछ साल पहले एफआरएस को कोलकाता पुलिस में शामिल किया गया था लेकिन कई जगहों पर कैमरे नहीं लगाए गए थे। कोलकाता पुलिस ने संवेदनशील जगहों को चिह्नित कर वहां पर कैमरे लगाये। बीते दो सप्ताह में कोलकाता पुलिस की ओर से बड़ाबाजार, ‌विभिन्न मार्केट और दक्षिण कोलकाता के विभिन्न इलाकों में 70 से अधिक फेस रिकॉग्निशन कैमरे लगाए गये हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार कोलकाता पुलिस जिन चोर और अन्‍य अपराध‌ियों को गिरफ्तार करती है उनकी तस्वीर और अन्य तथ्य को लेकर डाटा बेस बनाती है। पुलिस के क्र‌िम‌िनल रिकॉर्ड में विभिन्न अपराधियों की तस्वीर और जानकारी उपलब्ध है। ऐसे में पुलिस ने अब उक्त क्रिमिनल डाटा बेस को एफआरएस के साथ जोड़ दिया है। इसके जरिये अगर कोई क्रिमिनल इन कैमरों के सामने से गुजरता है तो सिस्टम की तरफ से कंट्रोल रूम और इससे जुड़े कंप्यूटर और मोबाइल पर अलर्ट भेजता है। उक्त अलर्ट के आधार पर पुलिस की टीम जल्द ही अभियुक्तों को पकड़ लेगी।
फिलहाल डीडी के अधिकारियों के पास था एफआरएस सिस्टम
पुलिस सूत्रों के अनुसार एफआरएस सिस्टम के तहत कैमरे से मिलने वाले फीडबैक को देखने की सुविधा अभी तक कोलकाता पुलिस के डीडी के वॉच सेक्शन, एआरएस और बर्गलरी सेक्शन के अधिकारियों के पास था। इस स‌िस्टम से जुड़े कैमरे के जरिए डीडी के अधिकारी विभिन्न पॉकेटमार और चोरों पर नजर रखते हैं। अब महानगर के विभिन्न इलाकों में एफआरएस कैमरा लगाया जा चुका है, इसलिए अभी उन कैमरों का फीडबैक महानगर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में देने की तैयारी चल रही है। इसके तहत सभी पुलिस स्टेशन के एक कंप्यूटर को एफआरएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। इसके लिए कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया जाएगा। सॉफ्टवेयर ‌इंस्टाल करने के बाद पुलिस अधिकारी अगर चोर की तलाश कर रहे हैं तो उसकी तस्वीर सिस्टम में अपलोड कर देंगे। इसके बाद अगर कोई भी फेस रिकॉग्निशन सिस्टम कैमरे के सामने से गुजरता है तो कैमरे की तरफ से थाने के कंप्यूटर और ‌पुलिस ऑफ‌िसर के मोबाइल पर अलर्ट मैसेज जाएगा। अलर्ट मैसेज में लिखा रहेगा कि उक्त चोर किस समय और किस सड़क पर घूम रहा है। इस अलर्ट मैसेज के जरिए पुलिस की टीएम चोर को आसानी से पकड़ सकती है। मध्य कोलकाता के एक थाना के ऑफिसर ने बताया कि एफआरएस का फीडबैक थाने में मिलने से किसी भी मामले की जांच में काफी सहूलियत होगी। इससे अभियुक्तों को चिह्नित करने के साथ ही उन्हें ट्रैक करना आसान हो जाएगा।
क्या फायदे हैं एफआरएस कैमरे के
यह सॉफ्टवेयर कंट्रोल रूम के जरिए सीसीटीवी कैमरों से फीड ले लेता है जिसके बाद वीडियोज को पुलिस रिकॉर्ड्स से मैच किया जाता है। एक पुलिस ऑफिसर ने कहा, “किसी क्रिमिनल र‌िकॉर्ड से चेहरा मिल जाने पर सॉफ्टवेयर अलर्ट साउंड देता है। इसमें लगा इमेज एनहांसिंग फीचर धुंधली तस्वीरों से भी चेहरे की पहचान कर लेता है।” आपराधिक मामलों की जांच में यह सिस्टम काफी उपयोगी साबित होगा।

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