राज्य में सभी ट्रांसपोर्ट वाहनों में लगाने होंगे ह्वीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस

नोटिफिकेशन हुआ जारी, बस मालिकों में असमंजस
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य के परिवहन विभाग की ओर से पहले ही कहा गया था कि सभी ट्रांसपोर्ट वाहनों में ह्वीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) लगाना होगा ताकि वाहनों पर कंट्रोल रूम के माध्यम से नजर रखी जा सके। इसे लेेकर अब परिवहन विभाग की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। हालांकि इसे लेकर बस मालिकों में असमंजस की स्थिति है। बस संगठनों का कहना है कि यह किस हद तक लागू हाे सकेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति है।
निर्भया मामले के बाद केंद्र ने दिया था निर्देश
वर्ष 2012 में निर्भया मामला हुआ था। इसमें एक बस में युवती से गैंगरेप किया गया था और बस को लगातार एक ही स्थान पर घुमाया जा रहा था। इसके बाद वर्ष 2018 में केंद्र सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर सभी राज्यों को कहा गया था कि वाहनों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए कदम उठाये जाये। इसे देखते हुए ही ये डिवाइस लगाने का निर्णय लिया गया है।
इस तरह के सभी वाहनों में लगाने होंगे वीएलटीडी
परिवहन विभाग की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 1 जनवरी 2019 और उसके बाद मैन्यूफैक्चर होने वाले सभी नये ट्रांसपोर्ट वाहनों में वीएलटीडी फिट करना होगा। इसके अलावा 31.12.2018 तक रजिस्टर्ड सभी पुराने ट्रांसपोर्ट वाहनों में भी यह डिवाइस लगानी होगी। वहीं टू ह्वीलर, ई-रिक्शा, थ्री ह्वीलर में भी इस डिवाइस को लगाना अनिवार्य होगा।
डिवाइस न लगाने पर यह व्यवस्था
परिवहन विभाग द्वारा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर ट्रांसपोर्ट वाहनों में डिवाइस नहीं लगायी गयी तो वाहनों की परमिट का रिन्यूअल नहीं किया जायेगा। इसके अलावा सर्टिफिकेट ऑफ फिटनेस का रिन्यूअल भी नहीं हो सकेगा। यह डिवाइस लगाने के साथ ही इमरजेंसी बटन फिट करना वाहनों में अनिवार्य होगा।
पैनिक बटन से मिलेगी जानकारी
वाहनों में वीएलटीडी लगाने पर किसी भी दुर्घटना की जानकारी परिवहन विभाग के कंट्रोल रूम तक तुरंत पहुंच जायेगी। इस ट्रैकिंग डिवाइस में ‘पैनिक बटन’ रहेगा जिसके माध्यम से परिवहन विभाग के कंट्रोल रूम तक दुर्घटना की खबर पहुंच सकेगी। कंट्रोल रूम द्वारा स्थानीय आरटीओ से संपर्क किया जायेगा और इसके द्वारा स्थानीय पुलिस तक भी तुरंत घटना की खबर पहुंच जायेगी। ऐसे में प्रशासन द्वारा आसानी से राहत व बचाव कार्य किया जा सकेगा। एक डिवाइस की कीमत लगभग 10 से 12 हजार रुपये है। फिलहाल रहेंगे 4 कंट्रोल रूम
इसके लिए राज्य भर में 4 कंट्रोल रूम फिलहाल बनाये जा रहे हैं। हालांकि बाद में इन कंट्रोल रूमों की संख्या बढ़ायी भी जा सकती है। फिलहाल परिवहन विभाग द्वारा कोलकाता के पोद्दार कोर्ट के अलावा सिलीगुड़ी, दुर्गापुर समेत दक्षिण बंगाल के एक और जिले में कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। ताकि ना आपराधिक घटनाओं पर लगे लगाम परिवहन विभाग के सूत्रों ने बताया कि आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है ताकि कॉमर्शियल वाहनों के सटीक लोकेशन की जानकारी परिवहन विभाग के पास रहे। कई आपराधिक घटनाओं में वाहनों के लोकेशन के द्वारा ही पुलिस अपराधियों को पकड़ती है।
क्या कहा बस संगठनों ने
ऑल बंगाल बस मिनी बस समन्वय कमेटी के महासचिव राहुल चटर्जीे ने कहा कि यह नियम तो लागू किया जा रहा है, लेकिन यह कितना कार्यकर हो सकेगा, इस पर संशय है। बसों में मैन्यूफैक्चरर्स को पहले से ही ये डिवाइस फिट करके भेजनी चाहिये थी। इसी तरह सिटी सबअर्बन बस सर्विसेज के टीटो साहा ने भी इसकी व्यावहार्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे बस मालिकों पर आर्थिक दबाव और बढ़ेगा। सभी ट्रांसपोर्ट वाहनों में इसे लागू करने को लेकर भी उन्होंने संशय जताया।

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