जनबहुल वाले इलाके में फ्री ‍‍वाईफाई का इस्तेमाल कर रहे हैं अज्ञात ओएस !

आपका कीमती डाटा मोबाइल से हो सकता है चोरी या हैक
अज्ञात ओएस के जरिए लोग कर रहे हैं फ्री वाईफाई का इस्तेमाल
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मौजूदा समय में इंटरनेट लोगों के रोजमर्रा के जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। इंटरटेनमेंट से लेकर एजुकेशन हो या फिर शॉपिंग करना हो अन्य कुछ । यह सभी तरह की सेवाएं मोबाइल पर इंटरनेट के जरिए पलक झपकते लोगों को मिल जाती है। ऐसे में लोग जब घर के बाहर होते हैं तो सार्वजनिक स्थलों पर मौजूद फ्री वाईफाई सेवा का लुत्फ उठाते हैं। खासतौर पर रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और बड़े मार्केट में फ्री ‍वाईफाई सेवा का लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। लोग वाईफाई सेवा का इस्तेमाल करते वक्त इससे अनभिज्ञ रहते हैं कि उनके मोबाइल का डाटा चोरी हो सकता है। इसके अलावा कई संदिग्ध लोग इस फ्री इंटरनेट का इस्तेमाल कर अपना काम करते हैं। इससे भीड़भाड़ वाले इलाकों में वाईफाई के इस्तेमाल के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में साइबर एक्सपर्ट्स ने इस मामले पर एक सर्वे किया और उन्हें कुछ खतरनाक जानकारी हासिल हुई । सर्वे के अनुसार महानगर और राज्य के कुछ भीडभाड़ वाले जगहों में मोबाइल पर वाईफाई इस्तेमाल करने वाले लोगों के बीच कम से कम 70 प्रतिशत ऑपरेटिंग सिस्टम या ओएस अज्ञात है। उन जगहों पर पाकिस्तानी या चीनी ओएस से चल रहे मोबाइल का कथित तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में साइबर विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है।
साइबर विशेषज्ञों ने अज्ञात ओएस को लेकर सुरक्षा एजेंसियों को चेताया
साइबर विशेषज्ञों ने इस संबंध में कोलकाता पुलिस और राज्य पुलिस को भी सतर्क कर इस बारे में जानकारी दी है। पुलिस और साइबर विशेषज्ञों की मानें राज्य के कई जगहों पर फ्री वाईफाई की व्यवस्था है। कोलकाता और कुछ जिलों में आबादी वाले स्थानों में वाई-फाई की व्यवस्था है। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों, कई बस स्टैंडों पर भी यह व्यवस्था की गई है। वाईफाई का इस्तेमाल करने वालों पर डाटा चोरी का खतरा बना रहता है। लेकिन कुछ खतरे मोबाइल रेगुलेर्ट्स से भी आ सकते हैं। खुफिया अधिकारियों और साइबर विशेषज्ञों के अनुसार ऐपल मैक, एंड्रायड, माइक्रोसॉफ्ट विंडो, एप्पल आई सहित कई ऑपरेटिंग सिस्टम हैं, जो आमतौर पर मोबाइल फोन को रेगुलेट करते हैं। इन मोबाइल का इस्तेमाल करने वालों की पहचान संभव है। नतीजतन, अगर कोई मोबाइल पर कुछ राष्ट्रविरोधी या विध्वंसक पोस्ट करता है, तो पुलिस उसकी पहचान करने की कोशिश करती है। लेकिन पुलिस के लिए उन लोगों की पहचान करना बहुत आसान नहीं है जो अज्ञात या अज्ञात ऑपरेटिंग सिस्टम या ओएस आधारित मोबाइल का उपयोग करते हैं। लेकिन सर्वे से पता चला है कि आबादी वाले क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले कुछ वाई-फाई में 70 प्रतिशत से अधिक अज्ञात ओएस हैं। नतीजतन, खुफिया अधिकारियों का मानना ​​है कि बड़ी संख्या में मोबाइल उपयोगकर्ता चीनी मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा खुफिया अधिकारियों को शक है कि दूसरे देशों से तस्करी कर लाए गए मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। उनके मुताबिक अब हर कोई दो या दो से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है। बहुत से लोग एक महंगे मोबाइल और दूसरे सस्ते मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में कई लोग सस्ते चीनी मोबाइल खरीदते हैं या दूसरे देशों से सस्ते मोबाइल की तस्करी करते हैं। लेकिन इस तथ्य के कारण कि मोबाइल ओएस एंड्रॉइड या आईफोन की तरह नहीं जाना जाता है, खतरे बढ़ने की संभावना है।

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