तृणमूल सांसद का भूख हड़ताल कार्यक्रम की घोषणा

तृणमूल सांसद का भूख हड़ताल कार्यक्रम की घोषणा
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सबिता, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : एसआईआर को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में घमासान जारी है। बयानबाजी भी खूब हो रही है। इन सबके बीच खासकर मतुआ समुदाय में भय और चिंता का माहौल है। भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस दोनों को शरणार्थियों के इस गढ़ में एसआईआर के तहत बड़े पैमाने पर लोगों के मताधिकार से वंचित होने की आशंका है। अब तृणमूल सांसद ने एसआईआर के खिलाफ भूख हड़ताल कार्यक्रम का आह्वान किया। तृणमूल से राज्यसभा सांसद ममताबाला ठाकुर का संगठन 5 नवंबर से ठाकुरनगर में वीणापाणि देवी के घर के सामने भूख हड़ताल पर बैठने जा रहा है। तृणमूल सांसद ने कहा, अगर नाम हटा दिया गया तो सबसे ज्यादा असर मतुआओं पर पड़ेगा, इसलिए वह उनके लिए लड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि जिसे जो कहना है कहे लेकिन वह अपना कार्यक्रम करेंगी। कम से कम सात दिनों तक यह कार्यक्रम फिलहाल चलने की संभावना है। एक तरफ जब ममताबाला ने भूख हड़ताल का आह्वान किया है। वहीं दूसरी ओर पलटवार में केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर की अध्यक्षता वाली संगठन ने उनके खिलाफ जवाबी विरोध कार्यक्रम की धमकी दी। उन्होंने ममताबाला के खिलाफ उनके घर के सामने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। इससे पहले ही केंद्रीय राज्यमंत्री और भाजपा की ओर से मतुआ समुदाय के प्रमुख चेहरे शांतनु ठाकुर ने समुदाय के लोगों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा है कि अगर शरणार्थी मतुआ के नाम हटाए जाते हैं तो चिंता की जरूरत नहीं है। उन्हें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। वहीं दूसरी ओर ममताबाला ठाकुर ने मतुआ समुदाय को साथ रहने का भरोसा दिलाया है।

घटनाक्रम का सारांश:

  1. एसआईआर को लेकर पश्चिम बंगाल की राजनीति में घमासान मचा हुआ है।

    • विपक्ष और सत्तारूढ़ दल, दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।

    • खास तौर पर मतुआ समुदाय में भय और असमंजस का माहौल है।

  2. तृणमूल कांग्रेस की पहल:

    • तृणमूल सांसद ममताबाला ठाकुर ने एसआईआर के विरोध में 5 नवंबर से भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की है।

    • उनका कहना है कि अगर एसआईआर के तहत लोगों के नाम हटाए जाते हैं तो सबसे अधिक नुकसान मतुआ समुदाय को होगा।

  3. भाजपा की प्रतिक्रिया:

    • केंद्रीय राज्य मंत्री और भाजपा के मतुआ नेता शांतनु ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर किसी शरणार्थी (मतुआ) का नाम मतदाता सूची से हटाया जाता है, तो उसे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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