अवैध नियुक्ति के मामले ने लिया दिलचस्प मोड़
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : प्राईमरी टीचर के पद पर अवैध नियुक्ति के मामले ने एक दिलचस्प मोड़ ले लिया है। प्राईमरी टीचर के पद पर मंत्री परेश अधिाकारी की पुत्री बबिता अधिकारी की नियुक्ति अवैध होने के कारण रद्द कर दी गई थी। उनके स्थान पर बबिता सरकार को नियुक्ति दी गई थी। अब एक और दावेदार अनामिका के आ जाने के कारण इस त्रिकोड़ ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है।
हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के कोर्ट में बबिता सरकार ने मामला दायर किया था। उनकी दलील थी कि प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति के लिए बनाए गए पैनल में उनका नाम था। पर मंत्री की पुत्री का नाम पैनल में सबसे उपर लाने के कारण बबिता सरकार पैनल से बाहर निकल गई थीं। हाई कोर्ट में सुनवायी के बाद उनकी दलील सही पाई गई और जस्टिस गंगोपाध्याय ने उनकी बर्खास्तगी का आदेश दिया था। इतना ही नहीं उन्हें इस पद पर रहने के दौरान जो तनख्वाह मिली थी उसे भी लौटानी पड़ी थी। उनके स्थान पर बबिता सरकार की नियुक्ति हो गई। एसएससी की तरफ से बताया गया था कि उन्हें 33 अंक मिले थे। अब नंबरों की जो सूची प्रकाशित की गई है उसके मुताबिक बबिता सरकार को 33 नहीं 31 नंबर मिले थे। अब अनामिका का दावा है कि बबिता के बजाए उन्हें अधिक अंक मिले हैं इसलिए वही नौकरी की सही हकदार हैं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की निगाहों में इस तथ्य को लाना जरूरी था इसलिए हाई कोर्ट में आई हैं। एडवोकेट विकास रंजन भट्टाचार्या ने कोर्ट में कहा कि एसएससी की गलती के कारण एक अपात्र को नौकरी मिल गई है और इससे समाज में बेहद गलत संदेश जाएगा। जस्टिस गंगोपाध्याय ने आदेश दिया है कि सभी पक्षों को नोटिस दी जाए और बुधवार को इसकी सुनवायी होगी।
अंकिता, बबिता व अनामिका के त्रिकोड़ का मामला हाई कोर्ट में
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