जिन्हें देना था ऑक्सीजन उन्हें नहीं मिला, जिन्हें नहीं चाहिये था दिया गया

स्वास्थ्य विभाग के पास चौंकाने वाली रिपोर्ट
कोलकाताः कोविडकाल में देश के प्रायः हर हिस्से सें सेकेंड वेव में ऑक्सीजन की कमी की समस्या सामने आई। हालांकि राज्य में ऐसी शिकायतें न के बराबर रहीं। दरअसल इसकी वजह यह भी रही कि राज्य में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा थी। हालांकि कोविड के मामलों के कम होने के साथ ही स्वास्थ्य भवन के पास एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पहुंची है। देखा जा रहा है कि राज्य के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन के इस्तेमाल में घोर लापरवाही बरती गई है। कोरोना पीड़ित मरीजों को ऑक्सीजन देने में बड़ी चूक हुई है, इस तरह की रिपोर्ट राज्य के कई सरकारी और निजी अस्पतालों के खिलाफ दर्ज की गई है। यह सनसनीखेज रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित विभाग के अधिकारी बेचैन हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य भवन की निरीक्षण टीम ने ऑक्सीजन के इस्तेमाल से जुड़ी कई अनियमितताओं को पकड़ा है। इस एक्सपर्ट टीम की रिपोर्ट के मुताबिक जिस मरीज के शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन है, उसे कई मामलों में ज्यादा ऑक्सीजन दी जा रही है। हालांकि जिस मरीज के शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत है, उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन, दोनों रोगियों में संदेह का बड़ा मामला सामने आया है।
उदाहरण के लिए, रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मरीज को हाई-फ्लो नोजल ऑक्सीजन के जरिए प्रति मिनट 50 लीटर ऑक्सीजन दी जा रही है। हालांकि, उस मरीज के शरीर में ऑक्सीजन सेचुरेशन 98 फीसदी है। स्वास्थ्य भवन की निरीक्षण टीम की नजर में उल्टी तस्वीर भी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक जिस मरीज के शरीर में 90 फीसदी ऑक्सीजन का स्तर है, उसे फेस मास्क के जरिए सिर्फ 8 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट दिया जा रहा है। ऐसे में जरूरत के अलावा पहले मरीज को अतिरिक्त ऑक्सीजन देने से मरीज के फेफड़े खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। यहां तक ​​कि जान तक जाने की संभावना रहती है।
24 घण्टे होती निगरानी तो बच सकती थी कई की जान
हालांकि, ऑक्सीजन के इस्तेमाल में लापरवाही की यह तस्वीर पश्चिम बंगाल में नई नहीं है। इसी तरह के आरोप कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान भी लगाए गए थे। स्वास्थ्य भवन के अधिकारियों का मानना ​​है कि कोविड के मरीजों पर चौबीसों घंटे निगरानी न होने के कारण इस तरह की घटनाएं आए दिन हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर लगातार कोरोना मरीजों की निगरानी की जाती तो आज कई लोगों की जान नहीं जाती।

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