
पहला सेल्फ हेल्प ग्रुप गठित
ट्रांसजेंडरों के सपनों को मिला पंख
ऑनलाइन भी मिलेगा सर्टिफिकेट
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य सरकार ट्रांसजेंडरों के लिए आईडेंटिटी कार्ड यानी पहचान पत्र देना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही उनका पहला स्वर्र निर्भर गोष्ठी का भी गठन किया गया। वहीं पुलिस में कांस्टेबल पद पर भी बहाली की घोषणा हुई।
बुधवार को रवींद्र सदन में राज्य सरकार के वुमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट एंड सोशल वेलफेयर विभाग द्वारा ट्रांसजेंडर पर्संन डेवलपमेंट बोर्ड की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। विभागीय मंत्री डॉ. शशि पांजा ने यहां 26 ट्रांसजेंडरों को सर्टिफिकेट और पहचान पत्र सौंपा।
मंत्री ने कहा कि कांस्टेबलों के रूप में तीसरे लिंग को भी नियुक्त किया जाएगा। भर्ती फॉर्म में महिला, पुरुष के साथ ही थर्ड जेंडर का जिक्र होगा। कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया गया है। इस मंच से पहला सेल्फ हेल्प ग्रुप गठन की भी घोषणा हुई जिसके सारे सदस्य ट्रांसजेंडर हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में ट्रांसजेडरों के अधिकार सुरक्षा तथा कल्याणकारी स्वार्थ से पश्चिम बंगाल ट्रांसजेडर पर्संन डेवलपमेंड बोर्ड का गठन किया है। इसके तहत कोलकाता सहित विभिन्न जिलों में ट्रांसजेंडरों काे पहचान पत्र देने की प्रक्रिया भी जारी है। मगर देखा गया है कि सर्टिफिकेट लेने वालों की संख्या काफी कम है। इसके लिए जिला स्तर पर जागरूकता बढ़ायी जायेगी।
सर्टिफिकेट पहला कदम, आगे सफलता की राह खुली है
संवाददाताओं को संबोधित करती हुईं मंत्री ने कहा कि देश में कानून है। ट्रांसजेंडर अगर आगे बढ़कर यह कहते हैं कि मैं ट्रांसजेंडर हूं तो, उसकी पहचान की सर्टिफिकेट मिलेगी। यह पहला कदम है, जिससे वो आगे चलकर रोजगार के अवसर तलाशे,पढ़ाई के दौरान या फिर रिक्रुटमेंट हो, इस सर्टिफिकेट के बाद वह आवेदन कर सकते है कि वे किस कैटोगरी में आवेदन करेंगे।हालांकि कुछ ऑपरेशन भी करवाते हैं जिसे एसआरएस कहते हैं जैसे पुरुष है वो महिला होना चाहते हैं। सर्जरी होने के बाद इस ट्रांसजेंडर सर्टिफिकेट में एक बार फिर से बदलाव कर महिला या पुरुष का कैटोगरी प्राप्त करेंगे। मंत्री ने कहा कि इससे अन्य दस्तावेज बनने में सुविधा होगा।
सर्टिफिकेट पाकर खुश हूं
सरकारी पहचान पत्र सौंपने के साथ ही सरकार के इस फैसले से स्वाभाविक तौर पर ट्रांसजेंडरों में काफी खुशी है। सर्टिफिकेट पाने वालों में से एक श्री रॉय ने कहा कि मैं जो चाहती थी वह मुझे पहचान के तौर पर मिल गयी है। इससे खुशी हूं।