
ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए धीरे-धीरे ट्राम को हटाने पर विचार कर रही है सरकार
परिवहन मंत्री ने कहा, हेरिटेज के तौर पर कुछ जगहों पर ही चलेगी ट्राम
सोनू ओझा
कोलकाता : कोलकाता का गर्व ट्राम बहुत जल्द शहर की सड़कों से नदारद होने जा रही है। एक वक्त था जब ट्राम की सवारी सहज थी मगर आज इसकी वजह से ट्रैफिक की समस्या देखी जा रही है। इसकी वजह से राज्य सरकार अब ट्रामों को कोलकाता की सड़कों से हटाने का विचार कर रही है। गुरुवार को राज्य के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया कि कोलकाता के भीड़ वाले इलाकों से ट्राम को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर विचार किया जा रहा है।
चौड़ी सड़कों पर चलेगी ट्राम
उन्होंने बताया कि ट्राम बिजली से संचालित होने वाला वाहन है इसलिए उसे सिर्फ उन इलाकों में बरकरार रखा जाएगा, जहां की सड़कें चौड़ी हैं। इसके लिए उन्होंने टॉलीगंज इलाके के नाम का उल्लेख किया है। साथ ही कहा कि संकरी और ट्रैफिक की समस्या बढ़ाने वाले इलाके से ट्राम बंद की जाएगी।
इन इलाकों में प्रस्तावित होगा ट्राम रूट
खिदिरपुर-एस्प्लानेड, टॉलीगंज जैसे मार्गों पर पर्यावरण के अनुकूल ट्राम चलायी जाएगी।
चितपुर, गरिया, बेलगछिया, रवींद्र सरणी जैसे व्यस्त इलाकों के संकरे हिस्सों में ट्राम बंद करने की याेजना।
मंत्री ने कहा, विकल्प नहीं है
मंत्री ने कहा, ‘‘उन हिस्सों में जहां ट्राम लाइन सड़क के बीच से होकर गुजरती है, वहां हमारे पास इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है और संभवत: ट्राम को नयी ट्रॉली बसों से बदला जाएगा, जो ऊपर से गुजराने वाले बिजली के तारों से बिजली लेंगी।’’
कोलकाता की विरासत में ट्राम की कहानी
24 फरवरी 1873 को सियालदह स्टेशन से आर्मेनियन स्ट्रीट तक पहली बार ट्राम चलायी गयी थी। उस वक्त घोड़े ट्राम को खींचते थे। ट्राम की परिसेवा बीच में 4 साल के लिए बंद कर दी गयी थी जिसे 1880 में दोबारा शुरू किया गया। यहां हम बता दें कि ट्राम को स्टीम इंजन से भी चलाने की कोशिश की गयी थी लेकिन 27 मार्च 1902 को आखिरकार बिजली से ट्राम संचालन शुरू किया गया। किसी दौर में पूरे महानगर में ट्राम लाइनों का जाल बिछा हुआ था। सिर्फ कोलकाता ही नहीं ट्राम एक वक्त हावड़ा ब्रिज पर भी चलती थी। एक दौर था जब करीब 70 हजार से अधिक यात्री प्रतिदिन ट्राम की सवारी करते थे जिनकी संख्या आज सैकड़ों में आ गयी है।