फांसी का सजायाफ्ता कैदी खुद ही करेगा हाई कोर्ट में अपनी पैरवी

लश्करे तायबा से जुड़े हैं तार, बनगांव कोर्ट ने सुनायी है मौत की सजा
कोलकाता : लश्करे तायबा से जुड़े एक आतंकवादी को फांसी की सजा सुनायी गई है। हाई कोर्ट में दायर अपील में उसने खुद ही अपनी पैरवी करने का फैसला लिया है। उसे बनगांव सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी है। जस्टिस जयमाल्य बागची और जस्टिस बिभाष पटनायक के आदेश पर उसे कोर्ट में पेश किया गया था। डिविजन बेंच उसके मामले की सुनवायी 17 मई को करेगा। इस मामले में कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट शेखर बसु को कोर्ट बंधु नियुक्त किया है।
शेख अब्दुल नईम उर्फ समीर को बीएसएफ ने 2018 में पेट्रापोल सीमा से गिरफ्तार किया था। उसके पास से विस्फोटक भी बरामद किए गए थे। एक मामले में एनआईए उसे गिरफ्तार कर के दिल्ली ले गई थी और अभी तक वह तिहाड़ जेल में बंद था। एडवोकेट कल्लोल मंडल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जस्टिस बागची के डिविजन बेंच के आदेश पर उसे कड़ी सुरक्षा में कोर्ट में पेश किया गया था। उसने कहा कि वह उसे सुनायी गई जेल और मौत की सजा के खिलाफ खुद ही पैरवी करना चाहता है। उसने इस मामले से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेजों को देने की अपील की ताकि वह सटीक ढंग से अपनी पैरवी कर सके। डिविजन बेंच ने कहा है कि कैदी अपने मामले की ढंग से पैरवी कर सके इसलिए उसे कोलकाता के किसी जेल में रखा जाए। डीजी जेल और पुलिस के डीजी को आदेश दिया है कि इस लिहाज से उपयुक्त व्यवस्था की जाए। दिल्ली से उसे लाने वाली पुलिस फोर्स को आदेश दिया है कि वह उसे प्रेसिडेंसी जेल के सुपर को सौंप दे। डिविजन बेंच ने आदेश दिया है कि उसे भारी सुरक्षा में जेल में रखा जाए और सुनवायी के दिन पुलिस के पहरे में उसे कोर्ट में पेश किया जाए। डिविजन बेंच ने स्टेट लीगल सर्विशेस ऑथरिटी के सदस्य सचिव से अनुरोध किया है कि कैदी को किसी जूनियर एडवोकेट की सेवा उपलब्ध करायी जाए ताकि उसे कोर्ट की कार्यवाही को समझने और अपनी अपील में पैरवी करने में मदद मिल सके। डिविजन बेंच ने कहा है कि अभियुक्त को फांसी की सजा मिली है इसलिए यह मुनासिब है कि उसे एक वरिष्ठ एडवोकेट की मदद मिले इसलिए सीनियर एडवोकेट शेखर बसु को इस मामले में कोर्ट बंधु नियुक्त किया जाता है। कैदी ने अपील दाखिल करने के साथ ही देर को क्षमा करने की भी अपील की है। डिविजन बेंच ने आदेश दिया है कि सारे दस्तावेज व कागजात सदस्य सचिव को उपलब्ध करा दिए जाए ताकि उसे उपयुक्त रूप में सुनवायी के दिन अदालत में पेश किया जा सके। डिविजन बेंच ने यह भी कहा है कि अगर अभियुक्त की किसी और अदालत में हाजिरी आवश्यक हो तो यह बीडीयो कांफ्रेंसिंग के जरिए की जा सकती है।

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