
जहरीली हो रही फिजां, हवा में घुल रहे प्रदूषण के कण
गंगासागर मेले के लिए लगे सेवा-शिविर भी हैं एक कारण !
सोनू ओझा
कोलकाता : शरीर को स्वस्थ रखने में फेफड़ाें का महत्वपूर्ण योगदान होता है। फेफड़ा बीमार हुआ तो न आप सांस लेने के लायक रहेंगे न जी पाएंगे। मानव शरीर की ही तरह प्रकृति को भी इस तरह के फेफड़ों की जरूरत होती है जहां उनके साथ थोड़ी सी लापरवाही इंसान में बड़ी बीमारी को दावत देने का काम करती है। महानगर में मैदान इलाका कोलकाता का फेफड़ा माना जाता है। कहना गलत न होगा कि यह कोलकाता का सबसे ग्रीन इलाका है। हैरत की बात है या कहें चिंता की बात है कि कोलकाता का फेफड़ा अब बीमार पड़ रहा है जो सभी के लिए चिंता का विषय है।
कोर्ट ने दिया है निर्देश मैदान में नहीं जलेगी आग
प्रदूषण को देखते हुए कोलकाता हाईकोर्ट की ओर काफी पहले ही निर्देश दिया गया है कि विक्टोरिया व उसके आसपास के करीब 3 किलोमीटर तक के दायरे में आग नहीं जलायी जा सकती है। यहां न तो कोयला जलाने की इजाजत है न ही लकड़ी, क्योंकि इससे निकलने वाला धुआं प्रदूषण का स्तर खराब करने के साथ ही बीमारी का घर भी है। मैदान इलाके में यह हरियाली बनी रहे इसलिए अदालत ने यह फरमान दिया है।
पीसीबी ने कहा, गंगासागर शिविरों का पड़ा था असर
इस बारे में पीसीबी के चेयरमैन कल्याण रुद्र ने सन्मार्ग को बताया कि गंगासागर मेले के लिए बाबूघाट इलाके में लगे राहत शिविर का असर कई हद तक मैदान इलाके के प्रदूषण स्तर पर देखा गया है। उस वक्त वहां अंगीठी जलायी जाती थी, लोग कोयले और लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाते थे जो हवा में असर छोड़ गया।
तो इन कारणों से बीमार पड़ रही मैदान की हवा
कल्याण रुद्र्र ने बताया कि ठंड की वजह से बादलों का छाया रहना और लॉ विंड वेलोसिटी के कारण मैदान इलाके में प्रदूषण का स्तर काफी गिर गया है। सूरज की रोशनी होने पर प्रदूषण के कण अधिक देर तक हवा में नहीं रहते हैं। उसी तरह हवा की वेलोसिटी 2 मीटर नीचे होने पर प्रदूषण बढ़ता है जो इन दिनों दर्ज किया जा रहा है। मैदान इलाका हरियाली से भरा हुआ है, वहां न तो इंडस्ट्री है न ही प्रदूषण बढ़ने का ऐसा कोई जरिया, इसलिए लोगों पर है कि नियमों को मानते हुए इस हेरिटेज इलाके की फिजां को जहरमुक्त रखें।