
प्राईमरी व अपर प्राइमरी में टीचरों की नियुक्ति का मसला
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : प्राइमरी और अपर प्राइमरी टीचरों के पदों पर नियुक्ति के लिए कई हजार आवेदकों की निगाहें हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। अपवादस्वरूप हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने उनकी तरफ से दायर रिट पर शनिवार को करीब पांच घंटे तक सुनवायी की। इस मामले की सुनवायी समाप्त हो गई और पांच अक्टूबर के बाद फैसला आएगा।
एडवोकेट रफत रियाज ने बताया कि जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुनवायी के बाद सभी पक्षों को आदेश दिया है कि वे पांच अक्टूबर को अपनी दलील का संक्षिप्त नोट सौंप दे। इसके बाद फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में बहुत सारे पिटिशन दायर किए गए हैं। एक की पैरवी कर रही एडवोकेट रियाज ने बताया यहां विवाद एनसीटीई की तरफ से जारी दो विज्ञप्तियों को लेकर है। टेट क्वेलिफाई करने के बाद डीएलईडी (डिप्लोमा इन इलिमेंटरी एडुकेशन) करने वालों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति दी जाती रही है। एनसीटीई ने 2018 में एक विज्ञप्ति जारी कर के बीएड करने वालों को भी प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र करार दिया। उन्हें इसके लिए छह माह का एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा। इसका असर यह हुआ कि प्राइमरी टीचर के पद पर की गई 12 हजार से अधिक नियुक्तियों में डीएलईडी करने वालों को मौका नहीं मिला। इस तरह के करीब दो हजार आवेदक हैं जिनमें से कुछ ने हाई कोर्ट में रिट दायर की है। एडवोकेट रियाज कहती हैं कि इस मामले में जो फैसला आएगा उसका असर उन पर भी पड़ेगा जिन्होंने रिट दायर नहीं की है। इसके अलावा बीएड करने वालों ने भी रिट दायर की है। उन्होंने एनसीटीई द्वारा 2019 में जारी एक विज्ञप्ति को मुद्दा बनाया है। इसमें कहा गया है कि स्नातक में कम से कम पचास फीसदी अंक अनिवार्य हैं। जिन लोगों ने 2018 से पहले बीएड में दाखिला लिया था उनमें से ऐसे भी थे जिनके अंक पचास फीसदी से कम थे। उन्होंने इस विज्ञप्ति को चुनौती दी है। दूसरी तरफ बोर्ड का कहना है कि टीचरों की नियुक्ति के मामले में एनसीटीई द्वारा जारी विज्ञप्ति का अनुकरण करना अनिवार्य है। इस श्रेणी के भी बहुत सारे आवेदक हैं। कुल मिला कर अब सभी की तकदीर जस्टिस गंगोपाध्याय के आने वाले फैसले पर टिकी है।