वारिस तय होने के इंतजार में दो साल से पड़ी थी लाश

जस्टिस शंपा सरकार का आदेश : 11 को होगा अंतिम संस्कार
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : देवाशिष दास का निधन 2020 में ग्यारह जुलाई को हो गया था। पर उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था इसलिए आज भी उनकी लाश एनआरएस हॉस्पिटल के मॉर्ग में पड़ी है। इसकी वजह यह है कि पिछले दो साल से यही तय नहीं हो पा रहा है कि उनका वारिस कौन है। बहरहाल हाई कोर्ट की जस्टिस शंपा सरकार ने मानवीय पहलू पर गौर करते हुए आदेश दिया है कि इस लाश का अंतिम संस्कार ग्यारह जुलाई को कराया जाए। इसके साथ ही इस लाश का दो साल का सफरनामा मौजूदा दौर में साझा परिवार के तार-तार होने की दास्तान भी है।
लाश की यह दास्तान एक त्रिकोड़ में उलझी हुई है। लाश तो देवाशिष की है पर बाकी दो पात्र हैं चंद्र मणि मंडल और अनिन्द्य घोष। इनका खुलासा आगे करेंगे। जस्टिस सरकार ने आदेश दिया है कि चंद्रमणि और अनिन्द्य ग्यारह जुलाई को सुबह ग्यारह बजे आनन्दपुर थाने में जाएंगे और पुलिस उन्हें एनआरएस के मॉर्ग में ले जाएगी। इसके बाद लाश के नाम पर जो ढांचा बचा है उन्हें सौंप देगी। फिर अनिन्द्य अंतिम संस्कार करेंगे और चंद्र मणि वहां मौजूद रहेंगी। केएमसी कानून के अनुसार मृत्यु प्रमाणपत्र देगा। अब आगे की कहानी कुछ यूं है। देवाशिष आनन्दपुर थाना क्षेत्र में रहते थें, चंद्र मणि मंडल उनकी देखभाल करती थी और अनिन्द्य बेलियाघाटा में रहते हैं। देवाशिष की मौत के बाद आनन्दपुर थाने पुलिस ने चंद्र मणि को उनकी लाश देने से इनकार कर दिया। ओसी की दलील थी कि वे न तो देवाशिष की रिश्तेदार हैं और न ही कानूनी वारिस हैं। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी। इसी दौरान पुलिस ने देवाशिष की मौत के बाबत अखबारों में विज्ञापन निकाला तो आनिन्द्य ने पुलिस से संपर्क किया। अब अनिन्द्य का दावा है कि ‍वे उनके मौसेरे भाई हैं। परिवार किस कदर सिमट गया है यह इसकी एक मिसाल है। चंद्र मणि मंडल ने हाई कोर्ट में एक वसीयत पेश की है जिसके मुताबिक देवाशिष ने अपनी सारी चलअचल संपत्ति का वारिस चंद्र मणि को बनाया है पर इसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाई है। मृत्यु प्रमाण पत्र के बगैर इसकी रजिस्ट्री नहीं हो सकती है। यहां गौरतलब है कि देवाशिष ने ब्याह नहीं किया था। अनिन्द्य का दावा है कि यह वसीयत फर्जी है। बहरहाल अब इस वसीयत को लेकर हाई कोर्ट के प्रोबेट कोर्ट में मामला चलेगा। दो साल के मुकदमे के बाद देवाशिष की आत्मा को ग्यारह जुलाई को मुक्ति मिल जाएगी। कहते हैं कि जब तक अंतिम संस्कार नहीं होता है तबतक आत्मा मंडराती रहती है। जस्टिस सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वसीयत के मामले में उनके इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एडवोकेट सब्यसाची रॉय ने यह जानकारी दी।

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