कोलकाता को आज भी ‘ब्रिटिश-कालीन’ पहचान दे रहा है स्विंग ब्रिज

सोनू ओझा
1890 में लंदन की कंपनी ने खिदिरपुर में तैयार किया था देश का इकलौता स्विंग ब्रिज
जहाज, बर्ज और कारगो की आवाजाही के लिए हफ्ते में 3 दिन स्विंग होता है यह ब्रिज
*18वीं शदी में कोलकाता देश की राजधानी थी, समय ब्रिटिशकाल का था और औद्योगिक नजरिये से कोलकाता का महत्व अंग्रेजों के लिए बहुत अधिक था जिसे देखते हुए ही कोलकाता पोर्ट के तहत नदी के जरिये कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए अंग्रेजों ने इस ​स्विंग ब्रिज का निर्माण किया था जो आज भी जस का तस है।
कोलकाता : अंग्रेजी सत्ता ने वैसे तो पूरे देश में अपना शासन बरकरार रखा था मगर बंगाल में इनका फोकस बाकी जगहों की तुलना में अधिक रहा है। इसकी वजह कोलकाता (जो उस वक्त कलकत्ता था) है जिसे ब्रिटिशकाल में देश की राजधानी बनाया गया था। चूंकि कोलकाता राजधानी थी इसलिए हर मायने में इसकी पूछ से लेकर साख तक बाकी जगहों की तुलना में अधिक थी। विशेषकर औद्योगिक पहलू को देखें तो अंग्रेजों ने यहां काफी फोकस किया। रेल से लेकर जलपथ तक कई इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्य किये गये जिनमें कोलकाता के खिदिरपुर में तैयार किया गया उस वक्त का ​ब्रिज आज भी​ अंग्रेजी शासन की पहचान को जीवंत करता है। गंगा पर बने इस ब्रिज का नाम स्विंग ब्रिज है जिसके तर्ज पर दूसरा कोई ब्रिज आज तक देश में नहीं बनाया गया है।
1890 में लंदन की कंपनी की सोच थी यह ब्रिज
स्विंग ब्रिज तैयार करने की सोच लंदन की कंपनी वेस्टवुट बैली की थी जिसने 1890 में इसे तैयार ​किया था। चूंकि इलाका पोर्ट का था इसलिए इसे कलकत्ता पोर्ट के अंतर्गत बनाया गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारी ने बताया कि खिदिरपुर का यह ब्रिज उस वक्त कलकत्ता (कोलकाता) के साथ बजबज और खिदिरपुर डॉक के पूर्व व पश्चिम साइड के रेलवे लिंक को जोड़ने के लिए तैयार किया गया था। इस ब्रिज के बनने से दो फायदे थे पहला पोर्ट के लिए एक नया नदी मार्ग तैयार करना, दूसरा रोड लिंक तैयार करना जिससे माल की आवाजाही में कम समय लगे।
90 डिग्री घूमता है यह 221 फीट लंबा ब्रिज
जैसा कि नाम से पता चलता है यह ब्रिज घूमने वाला है जिसकी लंबाई करीब 221 फीट है। ब्रिज पर नदी मार्ग चालू करने के लिए यह पूरा ब्रिज 90 डिग्री घूम जाता है जिसे देखने पर पता ही नहीं चलता है कि यहां कोई ब्रिज था। ब्रिज को घुमाने की पूरी प्रक्रिया हाइड्राेलिक पावर के जरिये की जाती है।
हफ्ते में 3 दिन घूमता है ब्रिज
​ब्रिज हफ्ते में 3 दिन स्विंग किया जाता है, जिसका समय सुबह 9 से 10 बजे (1 घंटा) है। इसमें भी ज्वार-भाटा का पूरा ख्याल रखा जाता है। इस दौरान दो भागों में बंटे नदी मार्ग से जहाज, बर्ज और कारगो की आवाजाही होती है। लोगों की सहूलियत के लिए सिंगल सिस्टम है जिसमें लाइट का इंडिकेशन बता देता है कि ब्रिज से अभी ​स्विंग है कि नहीं। इस ब्रिज पर करीब 23.33 फीट रोड-वे है जिस पर सिर्फ छोटे वाहनों की आवाजाही की ही इजाजत है।
स्टील ऐसा कि मरम्मत की जरूरत ही नहीं पड़ी
​ब्रिज की मरम्मत को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारी ने बताया कि इसके निर्माण में जिस स्टील का इस्तेमाल किया गया है उसकी गुणवत्ता इसकी बेजोड़ है कि मरम्मत की जरूरत ही नहीं पड़ी। वैसे एक टीम मौके पर हमेशा रहती है जो बराबर नजर बनाएं रखती है कि ब्रिज में कहीं कोई दिक्कत न आये। जहां जरूरत होती है उसका रंग-रोगन कर दिया जाता है।

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