
हाई कोर्ट के जस्टिस बसु ने दिया आदेश
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : आसनसोल के काजी नजरूल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की बर्खास्तगी के आदेश पर हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। जस्टिस विश्वजीत बसु ने बुधवार को मामले की सुनवायी के बाद यह आदेश दिया। यह स्टे तीन सप्ताह के लिए लगाया गया है। इस दौरान इसकी सुनवायी संबंधित बेंच में होगी।
विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. सुबोध चक्रवर्ती ने रजिस्ट्रार चंदन कोनार को 14 मार्च को एक नोटिस देकर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यहां गौरतलब है कि उन्होंने एक जनवरी को रजिस्ट्रार का कार्यभार संभाला था। इस बर्खास्तगी के खिलाफ हाई कोर्ट में मंगलवार को मेंशन करते हुए एक रिट दायर की गई थी। रजिस्ट्रार की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट जयदीप कर ने बर्खास्तगी के मामले में वाइस चांसलर के अधिकार क्षेत्र का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की संस्तुति के बाद एक्जिक्यूटिव काउंसिल रजिस्ट्रार की नियुक्ति करती है। उनकी दलील थी कि जब नियुक्ति का अधिकार एक्जिक्यूटिव काउंसिल को है तो बर्खास्तगी का अधिकार भी उसे ही है। इसके लिए एक्जिक्यूटिव काउंसिल को संस्तुति पत्र भेजा जाता है। अलबत्ता वीसी आपातकालीन परिस्थिति में आदेश दे सकते हैं पर एक्जिक्यूटिव काउंसिल से इसका अनुमोदन कराने की बाध्यता है। विश्वविद्यालय के एडवोकेट की दलील इसी आपातकालीन स्थिति पर टिकी थी। इसके जवाब में एडवोकेट कर ने कहा कि न तो कोई आपातकालीन परिस्थिति थी और न ही एक्जिक्यूटिव काउंसिल से अनुमोदन लिया गया था। इसके साथ ही एडवोकेट कर की दलील थी कि रजिस्ट्रार को एक साल के प्रोबेशन पर नियुक्त किया गया था। एडवोकेट कर की दलील थी कि अगर प्रोबेशनर की सेवा में कोई कमी है तो उसे सुधारने के लिए एक नोटिस देनी पड़ती है। यहां ऐसा कुछ भी नहीं किया गया और सीधे बर्खास्तगी का आदेश थमा दिया गया। इसके बाद ही जस्टिस बसु ने इस पर तीन सप्ताह के लिए स्टे लगाने का आदेश दिया।