राज्य सरकार नहीं बता रही है डेंगू के सटीक आंकड़े : केंद्रीय मंत्री

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : डेंगू को लेकर राज्य सरकार द्वारा आंकड़े छुपाने का आरोप केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लगाया। शुक्रवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम में पहुंचीं केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि डेंगू को लेकर केंद्र को राज्य सरकार सटीक तथ्य नहीं दे रही है। यहां उल्लेखनीय है कि राज्य में डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य सरकार की ‘व्यर्थता’ दिखाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री मनसुख माण्डवीय काे गत सोमवार काे चिट्ठी लिखकर राज्य में केंद्रीय प्रतिनिधि भेजने की अपील विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने की थी। इस बीच, कोलकाता में आकर डेंगू को लेकर जिस प्रकार केंद्रीय राज्य मंत्री ने राज्य सरकार पर आरोप लगाये, इसके बाद इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गयी है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा, ‘हमारे पोर्टल में सभी राज्यों से फीडबैक लिये जाते हैं, लेकिन कई बार आवेदनों के बावजूद पश्चिम बंगाल ने इस पर कोई रिपोर्टिंग नहीं दी है। हमारे पास इसकी कोई सूचना नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कितने डेंगू मरीज हैं और कितने लोगों की मौत इससे हुई है। यह सूचना केंद्र के साथ अवश्य साझा की जानी चाहिये।’ उन्होंने कहा, ‘केंद्र द्वारा लगातार सभी राज्यों को मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित करने हेतु निर्देश दिये जा रहे हैं। मैं एक बार राज्य सरकार से आवेदन करती हूं कि जल्द से जल्द डेंगू के आंकड़े बतायें। बगैर सूचना के सहयोग प्रदान करना संभव नहीं है।’
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक ने यह कहा
इस कार्यक्रम में मौजूद राज्य के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक सिद्धार्थ नियोगी ने कहा, ‘हमने मंत्री की बात सुनी। हो सकता है कि कुछ जगहों पर सूचनाएं अपलोड नहीं हुई हों, लेकिन केंद्र से सूचना साझा किये जाने के बावजूद वेबसाइट देरी से अपडेट की जाती है। हम कई महीने से लगातार सूचनाएं भेज रहे हैं।’ नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिसीज एण्ड कंट्रोल्स वेबसाइट के अनुसार, पश्चिम बंगाल द्वारा अंतिम बार गत 30 सितम्बर को डेंगू संबंधी आंकड़े दिये गये थे जिसमें 239 मामलों और शून्य मौतों का जिक्र किया गया था।
आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं करने को लेेकर हमला
केंद्रीय राज्य मंत्री ने राज्य में आयुष्मान योजना लागू नहीं किये जाने को लेकर भी राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘महामारी के बाद हमें स्वास्थ्य सरंचना को मजबूत करने पर जोर देना चाहिये। इसी के लिए आयुष्मान भारत योजना डिजिटल मिशन लाया गया था। पश्चिम बंगाल सरकार को ये योजना लागू करनी चाहिये। राज्य के लोगों को इस योजना से वंचित नहीं किया जाना चाहिये।’ यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल सरकार आयुष्मान भारत योजना से यह कहते हुए बाहर आ गयी थी कि वर्ष 2016 में राज्य सरकार इसी तरह की योजना स्वास्थ्य साथी लांच कर चुकी है।

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