आईपीसी की धारा 409 लगाए जाने के बाबत जज का सवाल
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी के एक नजदीकी को हाई कोर्ट से वृहस्पतिवार को जमानत मिल गई। राज्य सरकार के एडवोकेट के तीखे विरोध के बावजूद जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और जस्टिस प्रसेनजीत विश्वास के डिविजन बेंच ने जमानत दे दी। इस मौके पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने सवाल भी उठाया कि अभियुक्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 क्यों लगायी गई है।
एडवोकेट श्यांति पोद्दार ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कांथी नगरपालिका के ठेकेदार नारायण चंद्र गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और वह तीस दिनों से जेल हिरासत में है। वह कांथी नगरपालिका में ठेकेदार के रूप में सड़क निर्माण का कार्य करता रहा है। इस मामले में दलील देते हुए एडवोकेट राजदीप मजुमदार ने कहा कि 2017-18 में सड़क निर्माण में घपला किए जाने का आरोप लगाते हुए यह एफआईआर इस साल कुछ माह पहले दर्ज की गई थी। जस्टिस गंगोपाध्याय ने भी सवाल किया कि घटना के पांच साल बाद एफआईआर क्यों दर्ज करायी गई। एडवोकेट मजुमदार ने दलील दी कि धारा 409 के तहत जनसेवकों के खिलाफ मुकदमा कायम किया जाता है और अभियुक्त एक मामूली ठेकेदार भर है। सरकारी एडवोकेट की दलील थी कि उस अवधि में सौमेंदु अधिकारी कांथी नगरपालिका के चेयरमैन हुआ करते थे और इसमें उनका भी नाम है। एडवोकेट मजुमदार की दलील थी कि सौमेंदु अधिकारी को जमानत मिल चुकी और सिर्फ इस वजह से अभियुक्त जनसेवक नहीं बन जाता है। डिविजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया।
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