
उत्तर बंगाल को लेकर चल रही बातें केवल अफवाह
पालिका और निगम चुनाव के लिए तैयारी शुरू
एक-दो को छोड़ कर सभी विधायक हमारे साथ
मधु सिंह
कोलकाता : भाजपा ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन मिली केवल 77 सीटें। इनमें भी 2 सांसदों निशिथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार द्वारा विधायक पद से इस्तीफा दिये जाने और मुकुल राय के तृणमूल में शामिल होने के बाद अब भाजपा के 74 विधायक ही विधानसभा में बचे हैं। पार्टी में मंथन के साथ ही आरोप- प्रत्यारोपों का दौर शुरू है। दिल्ली से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेताओं पर कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं और उन्हें हार का जिम्मेदार माना जा रहा है। इन सब मुद्दों पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने सन्मार्ग के साथ खास बातचीत की। क्यों रिजल्ट खराब हुआ, इसके बाद अब क्या रणनीति होगी आदि विषयों पर दिलीप घोष ने खुल कर बात की। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश
सन्मार्ग : टार्गेट से काफी पीछे रह गयी भाजपा। क्या कारण मानते हैं ?
दिलीप घोष : पार्टी ने एक टार्गेट रखा था। लोकसभा चुनाव में हमने 21 सीटों का टार्गेट रखा था, लेकिन 18 सीटों तक पहुंचे। इसी तरह विधानसभा चुनाव में भी हमने एक टार्गेट रखा था, हालांकि विधानसभा चुनाव में हमने बड़ा टार्गेट रखा और हम 77 सीटों पर पहुंचे। लोगों ने हम पर भरोसा भी किया, लगभग लोकसभा की तरह ही इस बार हमें वोट मिला। जनता हमें सत्ता पक्ष में नहीं, इस बार विपक्ष में देखना चाहती थी। आगे और लड़ाई बाकी है।
सन्मार्ग : क्या टीएमसी से जो आये थे, उनके कारण भाजपा हारी ?
दिलीप घोष : आये थे लाखों, अब 2-4 लोग जा रहे हैं। कुछ लोगों की छवि ठीक नहीं थी जो हम पर भारी पड़ा। हमने एक सिस्टम डेवलप किया था, लेकिन इस राज्य में काम नहीं आया। अब आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सन्मार्ग : क्या उत्तर बंगाल को अलग राज्य करने की बात है ?
दिलीप घोष : हमारे किसी पदाधिकारी ने ऐसा कुछ नहीं कहा है और ना तो कहेगा। ये सब अफवाहें हैं पार्टी को बदनाम करने की। जिस तरह ममता बनर्जी ने इस पर चर्चा की, इससे ऐसा ही लगता है। वैक्सीन देने में राज्य सरकार नाकामयाब हुई, हिंसा नहीं रोक पा रही, इन सब मुद्दों से भटकाने के लिए इस तरह किया जा रहा है।
सन्मार्ग : विधायकों और कार्यकर्ताओं को साथ रखने के लिए क्या कर रहे हैं ?
दिलीप घोष : सारे विधायक और कार्यकर्ता पार्टी के साथ ही हैं, कोई कहीं नहीं जा रहा। कुछ लोग आये थे जिन्हें अब लग रहा है कि यहां आकर फायदा नहीं हुआ, केवल वे लोग ही जा रहे हैं। कोई विधायक या कार्यकर्ता कहीं नहीं जा रहा।
सन्मार्ग : अब आगे की रणनीति क्या है ?
दिलीप घोष : भाजपा मजबूत विपक्ष की भूमिका पूरे दमखम के साथ निभायेगी। हम दबने वाले नहीं हैं। आगे नगर निगम और पालिका के चुनाव होने वाले हैं। देखें सरकार कब तक करवाती है लेकिन भाजपा का एक एक कार्यकर्ता इसके लिए तैयार है। रिजल्ट चौकाने वाला होगा। हम अभी से ही तैयारी शुरू कर चुके हैं।
सन्मार्ग : आप कहते हैं राज्य में हिंसा हो रही है। ऐसा है तो इसे रोकने के लिए आपकी पार्टी क्या कर रही है ?दिलीप घोष : हां, हिंसा हो रही है। हिंसा रोकने को लेकर राज्य सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। हमने एससी, एसटी, अल्पसंख्यक, बच्चों से संबंधित कमीशन से लेकर हर जगह हमने चिट्ठी दी है। वहीं जाे कार्यकर्ता अब भी बेघर हैं, हमारी पार्टी उनके साथ खड़ी है, उनके खाने-पीने से लेकर हर तरह की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है, जरूरी सामान भेज रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से हिंसा रोकने को कोई पुख्ता पहल नहीं की जा रही है और न ही हिंसा प्रभावितों का पुनर्वास कराने में सरकार की कोई दिलचस्पी है।