
कोलकाता : कोलकाता की फिजाओं की बात की जाए तो यहां दिल्ली से कम जहर नहीं है। खतरे के रडार पर खड़े कोलकाता की इस स्थिति के मुख्य कारणों में एक कारक कोयला है जो यहां हजारों की संख्या में फूड वेंडर और स्त्रीवाले इस्तेमाल करते हैं। कोयले के धुएं से कोलकाता की हवा को बचाने के लिए कोलकाता नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कोलकाता पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है।
स्मोक लेस चूल्हा लाने की योजना
पीसीबी के मेंबर सचिव डॉ. राजेश कुमार ने सन्मार्ग को बताया कि ऐसे लोग जो कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें से करीब 1800 लोगों को मंगलवार को एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा। हावड़ा में भी लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिया जाएगा। इधर कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने सन्मार्ग को बताया कि इसके साथ ही एक विकल्प के तौर पर कोलकाता नगर निगम स्मॉक लेस चूल्हा लाने की योजना बना रहा है ताकि महानगर को कोयले के जान-लेवा धुएं से बचाया जा सके। मेयर ने बताया कि कोयला हटाने के लिए बड़ी मात्रा में स्मोक लेस चूल्हा की जरूरत होगी साथ ही बजट भी महत्वपूर्ण है।
कोलकाता में करीब 15,000 लोग इस्तेमाल करते हैं कोयला
निगम व पीसीबी अधिकारियों ने बताया कि पूरे कोलकाता में करीब 15,000 लोग ऐसे हैं जो कोयले का इस्तेमाल करते हैं। इनमें ज्यादातर गरीब तबके के लोग हैं। इन लोगों को ही एलपीजी कनेक्शन अथवा स्मोक लैस चूल्हा दिया जाएगा। इसके लिए कोलकाता पुलिस, निगम की सहायता से तालिका तैयार कर रही है, जिसका सत्यापन एलपीजी कनेक्शन देने वाली कंपनी (एचपी) को दी जाएगी। इस बीच अगर किसी का दस्तावेज गलत पाया जाता है जिसमें वह बीपीएल या जरूरतमंद साबित नहीं होता है तो उसे इस सुविधा से वंचित कर दिया जाएगा।
एक्सपर्ट बताएगा स्मोक लेस चूल्हा पर्यावरण के लिए कितना सटीक
पीसीबी अधिकारी ने बताया कि निगम के नजरिये से स्मोक लेस चूल्हा बेहतर विकल्प हो सकता है मगर वाकई वह पर्यावरण के लिए सटीक है कि नहीं यह जानना पीसीबी के लिए जरूरी है। इसके लिए आईआईटी के एक्सपर्ट से सलाह-मशविरा लिया जाएगा।