
11 वर्षीया बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एक ग्यारह वर्षीया बच्ची से बलात्कार के बाद हत्या जैसे जघन्य अपराध के मामले में दो अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनायी थी। चुंचुड़ा कोर्ट के अतिरिक्त सेशन जज ने मामले की सुनवायी के बाद यह फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक और जस्टिस शब्बार रशीदी ने अपील पर सुनवायी के बाद फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल तो दिया पर इस शर्त के साथ की उनकी अंतिम सांस जेल में ही निकलेगी।
इस मामले के सरकारी एडवोकेट संजय बर्द्धन ने बताया कि फांसी की सजा को पुष्टि के लिए हाई कोर्ट भेजने की वैधानिक बाध्यता है। इसके अलावा सजायाफ्ता गौरव मंडल और कौशिक मल्लिक की तरफ से अपील भी दायर की गई थी। जब उनकी तरफ से कोई एडवोकेट सामने नहीं आया तो कोर्ट ने एडवोकेट शेखर बसु को उनकी पैरवी के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया। एडवोकेट बर्द्धन बताते हैं कि नाबालिगा हुगली जिला के बालागढ़ थाना क्षेत्र की रहने वाली थी। वह रोजाना शाम को पांच बजे साइकिल से ट्यूशन पढ़ने के लिए जाती थी। ट्यूटर के पास पहुंचने के बाद वह घर फोन कर देती थी। रोजाना की तरह वह 2014 में 12 दिसंबर को ट्यूशन पढ़ने गई थी पर लौट कर नहीं आई। रात को घर वालों ने तलाश करना शुरू किया तो उनके मोबाइल पर फोन आया कि अगर तीन लाख रुपए दोगे तो बच्ची को छोड़ देंगे। घर वालों ने किसी तरह तीन लाख का इंतजाम किया तो फिरौती की रकम बढ़ कर 30 लाख हो गई। इसके बाद फोन आना बंद हो गया। पुलिस ने इन दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया तो उनकी निशानदेही पर नदी के किनारे दफना दी गई नाबालिगा की लाश बरामद की गई। इसके साथ ही वह कटार भी बरामद किया गया जिससे उसके पैर काटे गए थे। बहरहाल पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी और जज ने इसे जघन्यतम अपराध करार देते हुए पिछले साल 27 जनवरी को फांसी की सजा सुना दी। हाई कोर्ट ने उनकी उम्र को देखते हुए फांसी की सजा से तो बरी कर दिया पर यह मानते हुए कि ये समाज में रहने लायक नहीं हैं इसलिए उनकी स्वाभाविक मौत भी जेल की सलाखों के पीछे ही होगी।