पुराने वाहनों को हटाने के पहले चरण में डेढ़ लाख वाहनाें का रजिस्ट्रेशन किये गये रद्द

लगभग 30 हजार वाहन किये गये स्क्रैप
कोलकाता और हावड़ा से पहले हटेंगे पुराने वाहन
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : शहर में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा 15 साल से पुराने वाहनों को हटाने की बात कही गयी थी। गत मई महीने से 15 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों की क्लींजिंग यानी उन्हें हटाने का काम शुरू किया गया। कुल 3 चरणों में यह काम किया जायेगा जिसमें पहले चरण का काम अगस्त महीने में पूरा हो चुका है। पहले चरण में 15 साल से पुराने कुल डेढ़ लाख कॉमर्शियल वाहनों के रजिस्ट्रेशन रद्द किये जा चुके हैं। वहीं 30 हजार पुराने वाहनों को मालिकों द्वारा खुद ही स्क्रैप कर दिया गया है जबकि बाकी के वाहन पहले ही स्क्रैप किये जा चुके थे। परिवहन विभाग की ओर से बताया गया कि पहले कोलकाता व हावड़ा से पुराने कॉमर्शियल वाहनों को हटाया जायेगा और उसके बाद ही अन्य जिलों में यह काम किया जायेगा। फिलहाल जिलों में ये गाड़ियां चल सकती हैं, लेकिन कोलकाता और हावड़ा के बाद जिलों को लेकर भी विचार किया जाएगा। सबसे अधिक प्रदूषण इन दोनों जिलों में ही है, संभवतः इस कारण ही पहले दोनों जिलों पर फोकस किया जा रहा है। दूसरे चरण का काम भी हुआ चालू पहले चरण में वर्ष 1970 से 2000 तक के पुराने वाहनों को हटाया गया था। अब दूसरे चरण में वर्ष 2000 से 2004 तक की गाड़ियों काे हटाने का काम भी चालू हो चुका है। फिलहाल पुराने वाहनों के मालिकों को नोटिस भेजने का काम किया जा रहा है जिनमें अब तक 2 लाख 30 हजार नोटिस भेजे जा चुके हैं। नोटिस मिलने के बाद काफी वाहन मालिक परिवहन विभाग के कार्यालय में आकर डिक्लेरेशन दे रहे हैं कि उन्होंने पहले ही अपने वाहन स्क्रैप कर दिये हैं। संभवतः नवम्बर के अंत तक दूसरे चरण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा। इसके बाद तीसरे चरण का काम चालू होगा। इसके तहत वर्ष 2004-2007 और फिर चौथे चरण में 2007-2022 तक के वाहनों की क्लींजिंग की जाएगी। निजी वाहनों पर काम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां उल्लेखनीय है कि हाल में एनजीटी ने निर्देश दिया था कि 6 महीने के अंदर कोलकाता व हावड़ा से सभी 15 साल से पुराने वाहन हटाये जायें। हालांकि इतने कम समय में इस फैसले को क्रियान्वित करने में कई अड़चनें थीं। इसके अलावा बीएस 4 वाहन ​जिनका हाल में र​जिस्ट्रेशन हुआ है, उनका क्या करना है, इसे लेकर भी कंफ्यूजन है। ऐसे में परिवहन विभाग ने एनजीटी के इस निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही निजी वाहनों काे लेकर परिवहन विभाग कोई काम कर सकता है। फिलहाल केवल 15 साल से पुराने कॉमर्शियल वाहनों को हटाने का ही काम किया जा रहा है। निजी बस मालिकों को किया जा रहा प्रोत्साहित
परिवहन विभाग के अधिकारी ने कहा कि निजी बस मालिकों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे सीएनजी बसें लें या फिर अपनी बसों को सीएनजी में कन्वर्ट करायें। इसके लिए निजी बस मालिकों के साथ बैठकों के अलावा सेमिनार आदि किये जा रहे हैं। सीएनजी ही भविष्य है और लम्बे समय में खर्च में कटाैती के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं है। परिवहन विभाग का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक कोलकाता में डीजल और पेट्रोल वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट न चलें। हालांकि कुछ बस मालिक इस पर पूरी सहमति नहीं जता रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि सीएनजी बस लेने में अधिक खर्च है। राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग मांगा जा रहा है।

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