
कोलकाता : सोमवार को ईडी के स्पेशल कोर्ट के जज ने मंत्री पार्थ चटर्जी को 12 दिन और अर्पिता मुखर्जी को 11 दिन के लिए ईडी हिरासत में भेज दिया। अर्पिता मुखर्जी को ईडी की स्पेशल अदालत के समक्ष पेश किया गया। वहीं मंत्री पार्थ चटर्जी वर्चुअल मोड में मौजूद रहे। ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बीएस राजू ने अदालत को बताया कि यह एक बड़ा घोटाला है। इसकी तह तक जाने की जरूरत है। मंत्री ने अपने पद का फायदा उठाया है। इस मामले में 21.90 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं। कई संपत्तियों के बारे में पता चला है। ऐसे में यह मामला सिर्फ 21.90 करोड़ रुपये तक सीमित नहीं है। यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। यह कितने करोड़ का घोटाला है, रुपये किसके-किसके पास गए हैं और कहां-कहां निवेश किए गए , उसता पता लगाने की जरूरत है। ईडी के लिए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने पैरवी की । एडवोकेट फिरोज इदुलजी और एडवोकेट अनामिका पांडेय ने उनका सहयोग किया।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि घोटाले के रुपये हवाला व अन्य माध्यम से भी ट्रांसफर किए गए हैं। इसकी जांच जरूरत है। उन्होंने अदालत को बताया कि पार्थ ने अपने पद का रौब जमाकर एसएसकेएम अस्पताल में ईडी अधिकारियों को गाली-गलौज किया। उन्हें धमकी दी और जांच में सहयोग किया। यहां तक की गिरफ्तारी के समय उन्होंने अपने का रौब जमाते हुए अरेस्ट मेमो में हस्ताक्षर भी नहीं किया था। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि अर्पिता के घर से कई संपत्ति के दलील मिले हैं। इनमें से एक संपत्ति पार्थ और अर्पिता ने संयुक्त रूप से खरीदा था। उक्त संपत्ति के दलील पर दोनों के नाम हैं। इसके अलावा दोनों के बीच मोबाइल फोन लगातार बातचीत होता था और अर्पिता उसकी बेहद करीबी है। ऐसे में ईडी का अनुमान है कि दोनों के नाम पर और भी कई संपत्ति मौजूद जिसका पता लगाने की जरूरत है।