पंचायत चुनाव मामले की सुनवायी समाप्त, फैसला रिजर्व

30 मार्च के पहले फैसला सुनाये जाने की संभावना
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पंचायत चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में दायर पीआईएल की सुनवायी शुक्रवार को समाप्त हो गई। चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज के डिविजन बेंच ने फैसले को रिजर्व कर लिया। उम्मीद है कि फैसला 30 मार्च तक आ जाएगा। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की तरफ से यह पीआईएल दायर की गई थी। यह पीआईएल पंचायत चुनावों में डिलिमिटेशन और एससी, एसटी ‍व पिछड़े वर्ग के लिए किए गए आरक्षण को लेकर दायर की गई थी। एडवोकेट जनरल एस एन मुखर्जी की दलील थी कि आरक्षण और डिलिमिटेशन का कार्य पिछले साल जुलाई में पूरा हो गया था। यह पीआईएल दिसंबर में दायर की गई थी। उन्होंने बहस करते हुए कहा था कि डिलिमिटेशन का कार्य संविधान की धारा 243ए के तहत किया गया है। एससी और एसटी के लिए आरक्षण पंचायत एक्ट की धारा 17 के तहत की गई है। एससी और एसटी के मामले में सेंसस के कानून के तहत आबादी में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। राज्य चुनाव आयोग की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट जयंत मित्रा ने कहा कि 2011 के सेंसस में पिछड़ा वर्ग नहीं था। इसलिए कानून के तहत घर-घर जा कर पिछड़े वर्ग की पहचान की गई है। उनके साथ एडवोकेट सोनल सिन्हा भी थीं। एडवोकेट मित्रा ने इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के 1996 के एक जजमेंट का भी हवाला दिया। दूसरी तरफ शुभेंदु अधिकारी की तरफ से बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट पी एस पटवालिया की दलील थी कि 2011 के सेंसस के बाद बंगाल की आबादी बढ़ी है। इसलिए एससी, एसटी की भी पिछड़े वर्ग की तरह घर-घर जाकर पहचान की जाए। यहां गौरतलब है कि चीफ जस्टिस ने इस पीआईएल का निपटारा नहीं होने तक पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी नहीं की जाने का अनुरोध किया था। एडवोकेट मित्रा ने कहा कि इस रोक को बरकरार रखने के लिए पिटिशनर की तरफ से कोई अपील नहीं की गई। इस मसले पर एडवोकेट जनरल ने कहा कि कोर्ट ने अनुरोध किया था। अब यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह क्या फैसला लेती है।

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