
हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने दिया आदेश
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कक्षा नौ और दस के 805 टीचरों की बर्खास्तगी का आदेश बहाल रहा। जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतीम भट्टाचार्या के डिविजन बेंच ने इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। इस अपील की सुनवायी समाप्त हो चुकी थी पर डिविजन बेंच ने अपना फैसला आरक्षित कर लिया था। डिविजन बेंच ने बुधवार को इसे सुनाया। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और जस्टिस विश्वजीत बसु के आदेश के खिलाफ डिविजन बेंच में अपील की गई थी।
इसके साथ ही डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि सिंगल बेंच ही उनके मामले की सुनवायी करेगी। यहां गौरतलब है कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने ओएमआर शीट में की गई हेराफेरी के आरोप की जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया था 952 ओएमआर शीट में हेराफेरी की गई है। मसलन किसी को ऑरिजिनल ओएमआर शीट में शून्य मिला है तो बोर्ड की हार्ड डिस्क के डाटा में इसे बढ़ा कर 50 कर दिया गया है। इस मामले में कुछ लोगों ने पार्टी के रूप में एड किए जाने की अपील की तो जस्टिस गंगोपाध्याय ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद यह मामला जस्टिस विश्वजीत बसु के कोर्ट में आ गया। बोर्ड ने माना कि 805 ओएमआर शीट में हेराफेरी की गई है और बाकी को तकनीकी जांच के लिए रोक दिया था। जस्टिस बसु ने मामले की सुनवायी करते हुए एसएससी को आदेश दिया कि वह टीचर रिक्र्यूटमेंट रूल्स की धारा 17 के तहत उनकी नियुक्ति के लिए की गई संस्तुति को वापस ले ले। यहां गौरतलब है कि संस्तुति के बाद ही बोर्ड नियुक्ति करता है। जब संस्तुति ही वापस ले ली गई तो नियुक्ति स्वाभाविक रूप से रद्द हो जाएगी। डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि इनमें से किसी ने भी यह दावा नहीं किया है कि ओएमआर शीट उसकी नहीं थी। इलेक्ट्रोनिक एविडेंस को लेकर उठाया गया सवाल समीक्षा का मामला है। पिटिशनरों के खिलाफ ठोस साक्ष्य हैं। इस अपील में नेचुरल जस्टिस की बात कही गई है पर यह ऐसा जैकेट नहीं है जिसे पहनते ही सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।