
पुलिस ने आंदोलनकारियों को हटाया 50 मीटर दूर
लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगायी सख्ती के साथ रोक
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के वीसी के आवास के गेट पर लगे ताले को तोड़ दिया। इसके साथ ही प्रशासनिक बिल्डिंग और लाइब्रेरी सहित अन्य स्थानों पर जड़े ताले भी तोड़ कर आने जाने की राह साफ कर दी गई। हाई कोर्ट के जस्टिस राजाशेखर मंंथा ने शुक्रवार को सुबह शातिनिकेतन थाने के ओसी और जिला पुलिस को आदेश दिया कि दोपहर चार बजे तक अवैध रूप से लगे सारे ताले तोड़ दिए जाएं।
विश्वभारती और अन्य की तरफ से हाई कोर्ट में एक रिट दायर करके आरोप लगाया गया था कि वायस चांसलर को 27 अगस्त से उनके आवास पर अवैध रूप से बंद रखा गया है। उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और डॉक्टरों को भी उनके आवास पर उनकी जांच करने के लिए नहीं जाने दिया गया। इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस मंथा ने शांतिनिकेतन थाने के ओसी को आदेश दिया कि वीसी के आवास के बाहर लगे सारे बैनर, बैरिकेड और प्रदर्शनकािरियों को वहां से हटा दिया जाए। वीसी की सुरक्षा में तीन सिपाहियों को तैनात किया जाए। विश्वविद्यालय के किसी भी हिस्से और विशेष कर के कक्षाएं, स्कूल और वीसी, टीचरों और प्रोफसरों के आवास से 50 मीटर के दायरे में कोई भी प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रदर्शनकारी अपने साथ लाए सारे सरोसामान वहां से उठा कर ले जाएंगे। विश्वविद्यालय परिसर के अंदर लाउड स्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय परिसर और अन्य स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों से सारी रुकावटें हटा ली जाएं। इस आदेश के अनुपालन के बाबत विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और शांतिनिकेतन थाने के ओसी अपनी रिपोर्ट बुधवार को अगली सुनवायी के दिन पेश करेंगे। विश्वविद्यालय का सामान्य कामकाज तत्काल शुरू किया जाए और शांतिनिकेतन थाने के ओसी इस मामले में हर तरह का सहयोग करेंगे। पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी बाहरी व्यक्ति विश्वविद्यालय के अंदर प्रवेश नहीं करे। बीरभूम जिले के एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जाए। जस्टिस मंथा ने कहा ति तीन वहिष्कृत छात्रों के मामले की सुनवायी की जाएगी। सरकार के एडवोकेट अमितेश बनर्जी इस आदेश के बारे में शांतिनिकेतन थाने को जानकारी देंगे। विश्वविद्यालय की तरफ से एडवोकेट सौम्य मजुमदार ने पैरवी की। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट अमितेश बनर्जी ने इन सारे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि वीसी को उनके आवास से बाहर आने जाने पर कभी किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचायी गई। राज्य सरकार ने ही उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए एसडीओ के नेतृत्व में डॉक्टरों को भेजा था लेकिन उन्होंने डॉक्टरों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी। जस्टिस मंथा ने कहा कि सभी इस आदेश का अनुपालन करेंगे और अगली सुनवायी बुधवार को होगी।