
लोगों की तस्वीर को ए4 पेपर पर प्रिन्ट कर दिया जाता है टेलीकॉम कंपनियों को धोखा
हाल ही में कोलकाता पुलिस द्वारा प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड बेचने के आरोप में पकड़े गए अभियुक्तों ने किया खुलासा
क्या सावधानी बरतें
* किसी फुटपाथ के अस्थाई स्टॉल से सिम कार्ड न खरीदें
* कभी भी दुकानदार को दूसरी बार तस्वीर न खींचने दें, कई बार लोगों की तस्वीर खींचकर उठाये जाते हैं कई सिम
* हमेशा टेलीकॉम कंपनी के ऑथराइज्ड स्टोर से सिम कार्ड खरीदें
* अज्ञात जगह पर किसी उपहार के लालच में डॉक्यूमेंट देने से बचें
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य में प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड बेचने वाला गिरोह बड़ी संख्या में एक्टिव है। इस गिरोह के कारण आम नागरिकों के नाम पर दर्जनों सिम कार्ड उनके अनजाने में टेलीकॉम कंपनियों से खरीदे जा रहे हैं और फिर उसे एक साथ दो ठगों के गिरोह को सप्लाई किया जा रहा है। इस गिरोह के सदस्य प्रिएक्टिवेटेड सिम कार्ड के वर्चुअल सिम को टेलीग्राम के जरिए नाइजीरियन गैंग को सप्लाई कर रहे हैं। इसके साथ ही फिजिकल सिम को बैंक धोखाधड़ी करने वाले जामताड़ा गिरोह को बेचते हैं। नाइजीरियन गैंग को एक सिम का ओटीपी 700 से 1000 रुपये में बेचा जाता है तो जामताड़ा गिरोह को 500 से 700 रुपए में। इस गिरोह के एजेंट राज्य के विभिन्न जिलों में फैले हुए हैं। हाल के दिनों में कोलकाता पुलिस के एंटी बैंक फ्रॉड सेक्शन के अधिकारियों ने इस गिरोह से जुड़े 6 लोगों को मुर्शिदाबाद, मालदह और सोनारपुर इलाके से पकड़ा है। अभियुक्तों के पास से 3000 से अधिक फर्जी सिम कार्ड जब्त किए गए हैं। उन सभी सिम कार्ड को विभिन्न लोगों के नाम पर खरीदा गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार जांच में पता चला कि अभियुक्तों के पास से बरामद सभी सिम कार्ड को पहले ही वर्चुअल तौर पर नाइजीरियन गैंग को व्हाट्सएप फ्रॉड के लिए बेचा जा चुका है।
तरकीब अपनाकर तस्वीर को जिंदा इंसान बताकर एक्टिवेट कर लेते थे सिम
पुलिस सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड बेचने के आरोप में सोनारपुर से पकड़े गए जालसाज ने जांच अधिकारियों के समक्ष चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार अभियुक्त ने बताया कि वह किसी भी व्यक्ति की तस्वीर मोबाइल के सामने जिंदा इंसान के तौर पर खींच कर सिम कार्ड एक्टिवेट कराता था। पुलिस के अनुसार अभियुक्त पहले महानगर व जिले के विभिन्न एजेंट से लोगों के दस्तावेज कलेक्ट करता था। इसके बाद टेलीकॉम कंपनी के सॉफ्टवेयर में दस्तावेज अपलोड कर देता था। इसके बाद ग्राहक की तस्वीर को ए4 साइज पेपर पर प्रिन्ट कर उसे मोबाइल के कैमरे के सामने इस तरह रखता जिससे तस्वीर खींचते वक्त यह लगे कि जिंदा इंसान खड़ा है। करीब 4 से 5 बार इस तरह तस्वीर खींचने पर वह एक बार सिम कार्ड एक्टिवेट कराने में सफल होता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार अभियुक्त ने इस तरह सैकड़ों सिम कार्ड एक्टिव कर उसे जामताड़ा गिरोह के सदस्यों को सप्लाई किया है। इसके एवज में उसे मोटी रकम मिलती थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस तरह के फर्जीवाड़े में महानगर के विभिन्न इलाकों में छतरी या फिर स्टाल लगाकर सिम बेचने वाले लोगों का रोल संदिग्ध रहता है क्योंकि यही लोग इन लोगों को पैसे के एवज में ग्राहकों की तस्वीर और दस्तावेज के फोटो कॉपी सप्लाई करते हैं।
क्या कहना है कोलकाता पुलिस के अधिकारी का
कोलकाता पुलिस के डीसी साइबर प्रवीण प्रकाश ने बताया कि सिम कार्ड खरीदते वक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। कई बार दुकानदार ठीक से तस्वीर नहीं आने का बहाना बनाकर दो से तीन बार लोगों की तस्वीर खींचता है। उस समय फर्जी सिम कार्ड के लिए वह यह काम करता है। ऐसे में लोगों से अपील है कि वह ऑथराइज्ड दुकानों से ही सिम कार्ड खरीदें।