
हुगलीः बांसबेड़िया नगरपालिका के त्रिवेणी स्थित शमशान घाट में शव दाह करने की तत्काल प्रक्रिया शुरू होने के बाद से नया विवाद शुरू हो गया है। यह शमशान घाट 800 साल पुराना है। भाजपा का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में बिना पैसे दिए कोई काम नहीं होता। लोगों को अपने परिवार के बुजुर्ग और नजदीकी रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार में पर अतिरिक्त रुपये खर्च करने होंगे। नगरपालिका की वाइस चेयरमैन शिल्पी चटर्जी ने कहा गंगा, कुंती, सरस्वती जैसी तीन नदियों के संगम से बना है त्रिवेणी। यहां बंगाल के अलावा अन्य राज्य के लोग भी शव दाह कराने आते हैं। हर रोज 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है और ठंड के समय यह आंकड़ा 50 तक चला जाता है। लोगों को अंतिम संस्कार कराने में 24 घंटों से ज्यादा का समय लगता है। यहां दो चूल्ही हैं। एक का लगातार प्रयोग किया जाता है दूसरा स्टैंड बाई पर रहता है। उसे जरूरी सेवा के तौर पर प्रयोग किया जाता है। दोनों को अगर साथ चलाने पर अचानक खराबी आने पर समस्या बढ़ जाती है और चूल्ही बंद हो जाती है। कभी कभी बहुत दिनों से रखे शव भी लाए जाते हैं जिससे बहुत दुर्गंध आती है। उस वक्त शमशान घाट पर रहना मुश्किल हो जाता है। उन शवों का अंतिम संस्कार पहले कराये जाने पर भी लोग आपस में उलझ जाते हैं। मामले को शांत करने के लिए प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ता है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि जिनके पास पैसे हैं, उन्हीं के लिए सारी सुविधाएं हैं। शमशान घाट में शुरू की जा रही तत्काल सेवा दूर से आने वाले लोगों के लिए सही है। कुछ लोगों का कहना है कि जिस तरह से चिकित्सा पर खर्च करते हैं उसी तरह शमशान घाट पर अधिक सुविधाओं के लिए अतिरिक्त रूपए खर्च करने होंगे। घाट पर डेथ सर्टिफिकेट की सुविधा भी उपलब्ध है।