
राज्यभर में लगाये गये 150 ध्वनि मापक यंत्र
थानेदारों को भी मिली जिम्मेदारी, दी गयीं 800 हैंड हेल्ड साउंड मीटर मशीनें
सोनू ओझा
कोलकाता : वायु प्रदूषण जिस तरह फिजां में घुल कर फेंफड़ों को बीमार कर रहा है, उही तरह ध्वनि प्रदूषण भी बीमारी को दावत देने में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ रहा है। सड़कों पर वाहनों की भरमार और उनके हॉर्न ध्वनि प्रदूषण को खुले में दावत देते हैं। कई बार देखा गया है कि ध्वनि के लिए तय किये गये मापदंडों की परवाह किये बिना धड़ल्ले से तेज आवाज में हॉर्न बजा कर नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन अब एक्शन मूड में आ गया है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से राज्यभर में ध्वनि प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही साथ कार्रवाई भी शुरू की गयी है। पीसीबी के डीजीपी व मेंबर सेक्रेटरी डॉ. राजेश कुमार ने सन्मार्ग को बताया कि इस अभियान में पीसीबी के साथ पुलिस भी शामिल है। इसके तहत कुछ खास ध्वनि यंत्र थानों में दिये जा रहे हैं तथा थानेदारों को दायित्व दिया जा रहा है कि वे उनके खिलाफ एक्शन लें।
बंगाल में सबसे ज्यादा लगे हैं ध्वनि मापक यंत्र
वैसे तो ध्वनि प्रदूषण के मामले में कई राज्य व शहर हैं जो अपने स्तर पर इस क्षेत्र में काम कर रहे है। बंगाल की बात की जाये तो यहां सबसे अधिक ध्वनि मापक यंत्र इंस्टॉल किये गये हैं। डॉ. कुमार ने बताया कि राज्य के लगभग सभी नगरपालिका क्षेत्र में एंबिएंस नॉइज मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है। अभी इनकी संख्या 150 है, आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ायी जाएगी। इस सिस्टम को जिला एसपी कार्यालय तथा कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है, पीसीबी को जहां भी शिकायत मिलती है उसे ईमेल के जरिये थानों में भेज दिया जाता है तथा अगले दिन उसके खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान रखा गया है।
पुलिस अधिकारियों को दी जा रही ट्रेनिंग
ध्वनि प्रदूषण को लेकर पीसीबी राज्य पुलिस के अधिकारियों को ट्रेनिंग दे रहा है। एक दिवसीय इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे इस सिस्टम के तहत पुलिस नॉइज पॉल्यूशन के खिलाफ कैसे एक्शन लेगी। कोलकाता पुलिस में यह ट्रेनिंग अगले हफ्ते दी जाएगी।
थानों को दी गयीं 800 हैंड हेल्ड साउंड मीटर मशीनें
150 एंबिएंस नॉइज मॉनिटरिंग सिस्टम के अलावा पीसीबी की तरफ से पुलिस को 800 हैंड हेल्ड साउंड मीटर मशीनें दी गयी हैं जिनके इस्तेमाल से तुरंत पता लग जाएगा कि अमुक एरिया में ध्वनि संबंधित नियमों को किस स्तर तक तोड़ा गया है। थानों में जल्द 1000 और यंत्र दिये जाएंगे जो क्लाउड कनेक्टेड होगा, इससे पता चलेगा कि कितनी बार ध्वनि प्रदूषण के नियम को तोड़ा गया, ध्वनि मापक को कितनी बार मेजरमेंट किया गया तथा कितनी बार उसके खिलाफ कार्रवाई की गयी। इसे देखते हुए त्वरित कार्रवाई करने का प्रावधान होगा।
साइलेंट जोन में लगेंगे अधिक यंत्र
अस्पताल, कोर्ट, शिक्षण संस्था जैसे साइलेंट जोन में अधिक से अधिक ध्वनि मापक यंत्र लगाये जा रहे हैं। निजी अस्पताल, निजी शिक्षण संस्थानों से अपील भी की जा रही है कि वे अपने एरिया में ऐसे यंत्रों को लगायें।