
मधु सिंह
अब मॉल में भी होगा माइक्रोब्रिवरी का प्रवेश
कोलकाता : माइक्रोब्रिवरी से निकाली गयी फ्रेश बियर कोलकाता में युवाओं की पसंद बन गयी है। पिछले 3-4 वर्षों से कोलकाता में माइक्रोब्रिवरी का ट्रेंड काफी बढ़ा है। अब कोलकाता के मॉल्स में भी माइक्रोब्रिवरी का प्रवेश हो रहा है। दिवाली के बाद ही कोलकाता के साउथ सिटी मॉल में भी माइक्रोब्रिवरी खुलने जा रहा है। स्क्रैपयार्ड के साथ मिलकर मॉल में माइक्रोब्रिवरी खोला जायेगा।
राज्य में बढ़ी है बीयर की डिमांड
साउथ सिटी प्रोजेक्ट्स के वाइस प्रेसिडेंट मनमोहन बागड़ी ने बताया, ‘महामारी के बाद से कोलकाता में माइक्रोब्रिवरी का बिजनेस काफी बढ़ा है क्योंकि फ्रेश बीयर लोग काफी पसंद कर रहे हैं। तपसिया में ग्रिड, कैमेक स्ट्रीट में स्क्रैपयार्ड और सेक्टर 5 में रिफाइनरी 091 में पिछले कुछ वर्षों में बीयर कनजम्प्शन काफी बढ़ा है। मध्य कोलकाता, साल्टलेक और न्यूटाउन में कुल मिलाकर फिलहाल 6 ही ऑपरेशनल माइक्रोब्रिवरी हैं। साउथ सिटी मॉल में स्क्रैपयार्ड दक्षिण कोलकाता का एक्सक्लूसिव माइक्रोब्रिवरी होगा जो 10,000 स्क्वायर फीट में फैला होगा। ऑलफ्रेस्को से एसी कवर्ड एरिया से लेकर ओपन टेरेस इसमें होंगे। पश्चिम बंगाल में 80-85 लाख केसेज का बीयर मार्केट है, लेकिन इस साल मांग बढ़ने के कारण ये 1.2 करोड़ केसेज तक पहुंच सकता है। रेनोवेशन के बाद ही साउथ सिटी मॉल को पार्क स्ट्रीट के विकल्प के तौर पर तैयार करने की योजना थी ताकि डाइनिंग व क्लबिंग की जा सके। मॉल में 3 फाइन डाइनिंग रेस्टोरेंट, 3 क्विक सर्विस रेस्टोरेंट और 4 लाउजेंस विजिटरों के लिए होंगे।’
होटल व रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ ईस्टर्न इंडिया (एचआरएईआई) के प्रेसिडेंट सुदेश पोद्दार ने कहा, ‘3-4 वर्षों में माइक्रोब्रिवरी का ट्रेंड कोलकाता में काफी बढ़ा है क्योंकि फ्रेश बीयर युवा चाह रहे हैं। उसका टेस्ट भी बोतल वाले बीयर की तरह नहीं होता है और इसमें प्रिजरवेटिव भी कम रहता है। ऐसे में लोग सीधे फ्रेश बीयर का लुत्फ उठा सकते हैं।’
इधर, साउथ सिटी मॉल का स्क्रैपयार्ड डिजाइन करने के साथ ही कोलकाता के अधिकतर रेस्टोरेंट, बार व लाउंज के डिजाइनिंग एक्सपर्ट जितेंद्र सिन्हा ने कहा कि माइक्रोब्रिवरी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। इसके अलावा हॉपिंग व पार्टी के लिए भी अच्छी जगह है। लोग प्रिजरवेटिव से बचना चाहते हैं और फ्रेश पसंद करते हैं। वहीं स्क्रैपयार्ड की डिजाइनिंग के बारे में उन्होंने कहा कि काफी अच्छा फील आयेगा। दिन में नैचुरल लाइट आयेगी और लोगों को घुटन महसूस नहीं होगी। फनी कैरेक्टर भी हमने दिये हैं और फ्लोरिंग भी अलग करने की कोशिश की है।
काई कॉमर्शियल प्रा. लि. के डायरेक्टर अंकित माधोगड़िया ने कहा, ‘बोतल वाले बीयर में ग्लिसरीन होता है जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। वहीं माइक्रोब्रिवरी की बीयर फ्रेश होती है जिसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। गुड़गांव व बंगलुरु जैसे राज्यों में हर रेस्टोरेंट व बार में माइक्रोब्रिवरी है, लेकिन कोलकाता में इसकी संख्या अब धीरे-धीरे बढ़ रही है।’
एक नजर इस पर
राज्य में बीयर की कुल उत्पादन क्षमता 19 लाख केसेस प्रति महीना है। कल्याणी में यूबी ब्रिवरी सबसे बड़ी है जहां 8.5 लाख केसेस की क्षमता है। इसके बाद कार्ल्सबर्ग यूनिट में 7.5 लाख और सेलेब्रिटी ब्रिवरीज में 3.5 लाख उत्पादन क्षमता है।