
क्विंटलों कोयला गायब होता गया और अधिकारी देखते रहें
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कोयला तस्करी मामले में सीबीआई की टीम के निशाने पर और कई ईसीएल के अधिकारी हैं। इन्हें भी जल्द ही सीबीआई की टीम पूछताछ के लिए बुला सकती है। इधर, सीबीआई ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए ईसीएल के वर्तमान जीएम तथा पूर्व जीएम सहित कुल 7 अधिकारियों व कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई की टीम ने इन्हें घंटों पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया और गुरुवार को आसनसोल कोर्ट में पेश कर सीबीआई हिरासत की मांग की। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट की ओर से उन्हें सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया। यहां बताते चलें कि जब जमीनी स्तर पर सीबीआई की टीम ने जांच की थी तो पाया था कि अवैध खनन कर कोयलरियों को पूरा तबाह करने की कोशिश की गयी। अवैध खनन इतना अधिक हुआ है कि हर तरफ तलाब जैसी स्थिति हो गयी है। आरोप है कि कोयला माफिया इन अधिकारियों की मदद ये कारनामें कर रहे थे। गिरफ्तार हुए इन अधिकारियों पर आरोप है कि इनकी रजामंदी से रोड के किनारे अवैध खनन चलता रहा और ईसीएल के अधिकारियों, कर्मियों ने किसी को कुछ नहीं कहा। इसके लिए कुछ और ईसीएल अधिकारियों को पूछताछ के लिए सीबीआई कार्यालय कोलकाता में बुलाया जा सकता है। क्विटलों का क्विटल कोयला तस्करी होता रहा और वे बैठे रहे। उल्लेखनीय है कि सीबीआई के एंटी करप्शन ब्रांच के पूर्व डीआईजी अखिलेश कुमार सिंह के नेतृत्व में इसकी छानबीन शुरू की गयी थी।
1800 टन कोयला मिलने पर हुआ था बवाल
कई और सवालों के जवाब सीबीआई की टीम को अभी भी चाहिए। सूत्रों की मानें तो सिर्फ इन 7 अधिकारियों के बस की बात नहीं है। इसमें और भी अधिकारी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल हिरासत में लेने के बाद इनसे पूछताछ की जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही उनके भी नाम सामने आएंगे, जो कि अब तक छिपे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि 5 दिसंबर, 2019 को ईसीएल व सीआईएसएफ की टीम ने संयुक्त रूप से छापामारी कर आसनसोल स्टेशन की साइडिंग से 1800 टन कोयला बरामद किया था। 1800 टन कोयला यानी कि लगभग 75 ट्रकों में भरा हुआ कोयला था। इतना कोयला वहां कहां से आया, किसके कहने पर रखा गया तथा यह किसका था, इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता था। बाद में छानबीन में यह साफ हुआ कि यह कोयला लाला व उसके सहयोगियों का था। अब सीबीआई की टीम इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है ताकि पता चले कि इस घटना के पीछे किन अधिकारियों का हाथ था।