
मूल्य वृद्धि की चक्की में पिस रहा है मध्यम वर्ग
फूंक-फूंक कर जल रहा है चूल्हा
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता: मूल्य वृद्धि की मार ने सबकी नाक में दम कर रखा है। पहले सरसों तेल की कीमत में बढ़ोतरी, फिर पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से आम लोगों का जीना दूभर हो गया है। अब गैस सिलिंडर की नयी कीमत लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है। चुनाव उपरांत लगातार मूल्य वृद्धि ने आम लोगों के चूल्हों पर मानो आग लगा दी है। कोलकाता में रसोई गैस की कीमत में 25.50 पैसा की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है यानी 14.2 किलो के सिलंडर की नयी कीमत 861 रुपए हो गई है। इसके अलावा होटल में यूज होने वाले गैस सिलिंडर की कीमत 84.50 रुपए दर्ज की गयी है जिसके आधार पर व्यापार के लिए यूज होने वाले सिलिंडर का नया कीमत 1629 रुपए हुआ है। यहां हम बताते चलें कि तमाम विपक्षियों ने केंद्र के उज्ज्वाला योजना पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सेंट्रल हमेशा खुद के प्रोजेक्ट को लेकर अपने मुह मिया मिठ्ठू जैसी हरकत करता है। इस बाबत जब एक के बाद एक, रोजाना यूज होने वाले सामानों के दाम बढ़ रहे है तब केंद्र सरकार क्या कर रही है? गरिबों के लिए उज्ज्वाला योजना का क्या हुआ? कहां से एक गरीब आदमी 861 रुपए की भरपाई कर गैस सिलिंडर खरीदेगा? इस तमाम विषयों पर सन्मार्ग की टीम ने गृहिणियों से बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश-
दमदम पार्क में रहने वाली संगीता केडिया ने कहा कि फूंक-फूंक कर चूल्हा जला रहे हैं। सिलिंडर की बढ़ती कीमतों ने हम गृहिणियों की बजट बिगाड़ दिया है। मूल्य वृद्धि की चक्की में मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा पिस रहा है।
गृहिणी कौशल्या मुंद्रा का कहना है कि अब गैस सिलंडर का विकल्प ढूंढना होगा। जिस तरह से इसकी कीमत में उछाल दिख रहा है उससे घर खर्च चलाना मुश्किल हो रही है। गरीबों के लिए सरकार है लेकिन हम मिडिल क्लास कहां जाएं?
श्यामबाजार की सीमा चंदा के अनुसार रसोई गैस का दाम बढ़ने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रोजाना हो रही मूल्य वृद्धि ने परेशान कर रखा है। कमाई तो बढ़ती नहीं लेकिन खर्च जरूर बढ़ता जा रहा है। सरकार से विनती है कि हमें इस समस्या से निजात दिलाये।