हाई कोर्ट ने दिया दो दिनों का समय, 19 को फिर सुनवायी
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : बोगतुई नरसंहार के अभियुक्त लालन शेख की सीबीआई हिरासत में अस्वभाविक परिस्थितियों में मौत हो गई। सीबीआई के मुताबिक उसने खुदकुशी की है। इसे लेकर एक पीआईएल दाखिल की गई है। इसमें हाई कोर्ट के किसी सिटिंग जज से इसकी जांच कराये जाने का आदेश देने की अपील की गई है। इसकी वृहस्पतिवार को सुनवायी के दौरान सीबीआई की तरफ से कहा गया कि उन्हें न्यायिक जांच से कोई परहेज नहीं है। एक संपूर्ण रिपोर्ट पेश करने के लिए बस दो दिनों का समय दिया जाए।
एडवोकेट सब्यसाची चटर्जी ने यह पीआईएल दायर की है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि यह एक अभूतपूर्व मामला है। सीबीआई हिरासत में एक अभियुक्त की मौत हुई है और दो सरकारी जांच एजेंसियां इस मामले को लेकर आमने सामने आ गई हैं। सीबीआई राज्य की सीआईडी को शक की निगाहों से देख रही है तो सीआईडी का रुख भी कुछ ऐसा ही है। इस वजह से लोगों का जांच एजेंसियों पर से विश्वास उठ जाएगा। यह भी एक ऐसे मामले में हो रहा है जिसकी कोर्ट की मॉनिटरिंग में सीबीआई जांच कर रही है। इस बाबत दायर एफआईआर में डीआईजी रैंक के दो सीबीआई अफसरों का नाम दिया गया है जो गोतस्करी के मामले की जांच कर रहे हैं। अपनी दलील के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का भी हवाला दिया। सीबीआई की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट धीरज त्रिवेदी ने कहा कि यह एफआईआर ही गलत इरादे से दर्ज कराई गई है। इसमें एडजी के दो ऐसे अफसरों का नाम जोड़ा गया है जिनका इस मामले से कोई सरोकार ही नहीं है। इसके साथ ही हैरानी जताते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दायर किया गया है। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट सम्राट सेन ने सवाल किया कि सीबीआई हिरासत में हुई मौत के मामले की जांच क्या सीबीआई खुद ही करेगी। एफआईआर के बाबत कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी फैसले के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने की संवैधानिक बाध्यता है। फिर बड़े हल्के मूड में कहा कि तो क्या इसकी जांच सीआईए या फेडरल ब्यूरो करेगा। बहरहाल डिविजन बेंच में सोमवार को इस मामले की दोबारा सुनवायी होगी।
लालन शेख : न्यायिक जांच से सीबीआई को एतराज नहीं
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