कोरोनाकाल भूल गया कुम्हारटोली, प्री कोविड वाली रौनक लौटने लगी

10 दिन पहले ही प्रतिमा आ जायेगी पंडालों में
यूनेस्को ने बंगाल के दुर्गापूजा उत्सव को दिया है सांस्कृतिक विरासत का दर्जा
एक नजर इस पर
कोलकाता में होने वाली पूजा की संख्या – लगभग 2706
गली मुहल्लों में होने वाली पूजा – लगभग 1000
घरों में होने वाली पूजा – लगभग 3000
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कुम्हारटोली भूल गया करोनाकाल। लौट आयी है प्री कोविड वाली रौनक। मूर्ति कलाकारों को चेहरे खिल उठे हैं। जी हां इस बार दुर्गापूजा की खुशी दुगुनी है क्योंकि यूनेस्को की ओर से बंगाल की दुर्गापूजा को सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है। विश्व स्तर पर दुर्गापूजा को मिली इस सफलता से कुम्हारटोली के मूर्तिकाराें से लेकर पूजा कमेटियों व इससे जुड़े सभी कलाकारों में बेहद ही खुशी है। सीएम ममता बनर्जी ने पहले ही कहा है कि इस बार पूजा का से​लिब्रेशन पहले से शुरू हो जायेगा। फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बासु का कहना है कि रथ पूजा के बाद कोविड के मामले को देखते हुए अगर जरूरत पड़ी तो गाइडलाइन जारी करेंगे। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। वहीं 1 सितंबर को एक रैली भी निकाली जायेंगी।
वर्ष 2020 से 2022 : हाल ए नजर कुम्हारटोली का
2020 : 40 % ही मूर्तियों के ऑर्डर कलाकारों को मिले
2021 : 50 से 55 % ऑर्डर आये
2022 – 15 % मूर्तियाें के ऑर्डर मिल गये
विदेश भे​जी जाने वाली मूर्तियों पर एक नजर
2020 : करीब 18 मूर्तियां गयी विदेशी
2021 : करीब 20 – 22 मूर्तियां विदेश भे​जी गयी
2022 : 2022 में काफी उछाल देखने को मिला है। अभी तक लगभग 59 से अधिक मू​र्तियां विदेश भेजी गयी। इनमें यूरोप, अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मन शामिल हैं। 20 और मूर्तियां भेजी जायेंगी
(उक्त जानकारियां कुम्हारटोली मृत्यशिल्पी संस्कृति समिति द्वारा दी गयी है)
कुम्हारटोली मृत्यशिल्पी संस्कृति समिति सेक्रेटरी व मूर्तिकार बाबू पाल ने सन्मार्ग से खास बातचीत में बताया कि इस बार की स्थिति प्री कोविड वाली है। 2020, 21 में अभी तक हमलोग हाथ पर हाथ रखकर बैठे थे मगर 2022 में मूर्ति कलाकारों को 15 % के ऑर्डर मिल गये हैं। 2019 जैसी स्थिति लौटने की पूरी उम्मीद है। (पूजा में अभी काफी दिन बाकी है)
बड़ी मूर्तियां हो रही हैं तैयार
गत दो साल बड़ी मूर्तियाें के ऑर्डर कुछ खास नहीं मिली थी। अधिकतम 8 फीट की मूर्तियां बनी। इस बार 14 फीट की मूर्तियों के ऑर्डर मिल चुके हैं। इस बार मांग भी बड़ी मूर्तियों की अच्छीखासी है। मूर्तिकार चायना पाल ने कहा कि बरबारी पूजा के लिए जहां छोटी मूर्तियां दो साल ली जाती थी इस साल बड़ी मूर्तियाें के लिए ऑर्डर दे रहे हैं। हमारा काम तेजी से चल रहा है। मूर्तिकार इंद्रजीत पॉल ने कहा कि पहले जहां रथ के दिन से बुकिंग होती थी इस बार रथ पूजा के एक महीने पहले से मूर्तियों के बाजार शुरू हो गये है।
क्या कहती हैं पूजा कमेटियां
अधिकांश पूजा कमेटियां ही कोविड के पहले जैसी पूजा आयोजन करने जा रहा है। हालांकि कोविड के नियमों को पूरा ध्यान रखा जायेगा। कुम्हारटोली सार्वजनीन दुर्गोत्सव कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी सौरभ दत्त ने बताया कि2019 में पूजा का बजट 35 से 40 लाख था, जबकि 2020, 2021 में यह घटकर 15 लाख हो गया। इन सालों में इस पूजा कमेटी ने कोविड रिलीफ फंड के लिए योगदान दिया। इस साल 2022 में करीब 25 लाख रु. बजट का टार्गेट लिया गया है।

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