कोलकाता : शादी के 6 महीने ठीक था, फिर रोजाना जबरन नोचने लगा देह

सोनू ओझा

क्लास 7 में थी तब अहसास हुआ मैं लड़की नहीं लड़कों जैसी हूं
संपा से श्याम बनी ट्रांसजेंडर की कहानी
 
कोलकाता : लड़कियों की यूनिफॉर्म पहन कर स्कूल जाना होता था। अजीब लगता था लेकिन वश में कुछ नहीं था, बस दिल कहता था लड़कियों वाली अदा मेरे अंदर नहीं है। गुड़ियों के साथ खेलना मुझे अच्छा नहीं लगता था, दिल-दिमाग कहता था कि फुटबॉल खेलूँ, बाइक चलाऊँ। खुद के भीतर हो रहे इस बदलाव को देखकर बहुत कुछ खुद को समझाने की कोशिश करता था लेकिन समझ नहीं आता था आखिर हो क्या रहा है मेरे साथ ? उस वक्त क्लास 7 में था तब अहसास हुआ कि मैं बाकी लड़की जैसी नहीं हूं, मुझे लड़कों में दिलचस्पी नहीं है। तब तो यह तक नहीं मालूम था कि ट्रांसजेडर जैसा कुछ होता है।
साड़ी न पहननी पड़े इसलिए स्कूल बंक करता था
माध्यमिक में यूनिफॉर्म साड़ी थी जिसे पहनना अच्छा नहीं लगता था। साड़ी न पहननी पड़े इसलिए अक्सर बहाने बना कर स्कूल नहीं जाता था। जैसे-तैसे दो साल इसमें कट गये लेकिन उच्च माध्यमिक में पूरी तरह यकीन हो गया कि मैं लड़की नहीं लड़का हूं। घर में भी बताने की को​शिश की लेकिन कोई यकीन नहीं करता था। यह सब देखते हुए ग्रजुेएशन तक पढ़ाई की तब घरवालों को लगा बेटी बड़ी हाे गयी है अब इसकी शादी करवा देनी चाहिए। यह वक्त था जब पहली बार मैंने घरवालों को बताया कि मैं लड़की नहीं खुद को लड़के जैसा अनुभव करती हूं। घरवालों ने मेरी बातों को अनसुना कर गुस्से में आकर जबरन मेरी शादी करवा दी, फिर शुरू हुई मेरे दर्द की दास्तां।
3 दिन में शादी, 6 महीने लगातार किया गया मेरा शोषण
संपा की शादी जिस लड़के से हुई उसे भी उसने बताया था कि वह शादी नहीं करना चाहती क्योंकि उसकी लड़के में दिलचस्पी नहीं है लेकिन उसकी बातों को अनसुना कर दिया गया। शादी के पहले 6 महीने तक उसके पति ने उसे पूरा समय दिया समझने के लिए लेकिन उसके बाद उस पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने का दबाव दिया जाने लगा। मना करने पर उसका पति रोजाना उससे संबंध बनाता था, कभी नशे में तो कभी उसे पीट कर। यह वक्त था जब उसे लगता था मानो रोज उसका रेप किया जा रहा है। 6 महीने की इस यातना के बाद उसने घर वालों को बताया तब जाकर समझ आया कि संपा बाकी लड़कियों की तुलना में अलग है।
संपा से श्याम बनते ही नियुक्त हुई लोक अदालत की जज
अब श्याम की जिंदगी नॉर्मल है। इस दौरान वह एक साल के लिए लोक अदालत की जज भी रहे। श्याम ट्रांसजेंडर है, खुद को एक ट्रांसजेंडर के रूप में समाज के सामने खड़ा करने में संपा का पूरा बचपन लग गया। संपा रहते उसने कई सितम झेले, यातनाएं सहीं लेकिन हार नहीं मानी।
उम्मीद की किरण है राज्य सरकार का निर्णय
राज्य सरकार ने जनरल कैटेगरी में ट्रांसजेंडर को सरकारी नौकरी देने का जो निर्णय लिया है वह श्याम के लिए ही नहीं बल्कि यहां हर एक ट्रांसजेंडर के लिए उम्मीद की नयी किरण है। जानकारी के अनुसार देश में करीब 5-7 प्रतिशत ट्रांसजेंडर हैं जिन्हें रोजगार मिला है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ट्रांसजेडरों को भी उनके हक के हिसाब से रोजगार मिलना चाहिए। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भीख मंगवाने, उन्हें सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग करने से रोकने, उनका शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने, इत्यादि अपराधों के लिए दो वर्ष तक की कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

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