क्या कोलकाता एयरपोर्ट का हो रहा है प्राइवेटाइजेशन ? चर्चाएं तेज

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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : कोलकाता एयरपोर्ट के प्राइवेटाइजेशन होने को लेकर चर्चाएं तेज हो गयी है। इस बारे में एयरपोर्ट अधिकारी की माने तो अब तक इस संबंध को कोई भी नोटिफिकेशन या फिर कोई कागजात अभी तक एयरपोर्ट पर नहीं आया है। सूत्रों की माने तो इस बार एएआई अंतर्गत संचालित 25 का प्राइवेटाइजेशन होना है। इनमें से पहले 13 एयरपोर्ट को शामिल किया जाएगा, इसके बाद 12 एयरपोर्ट को प्राइवेट किया जाएगा। एयरपोर्ट सूत्रों की माने तो एयरपोर्टों का निजीकरण होने से यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी। हालांकि एयरपोर्ट पर कार्यरत एएआई कर्मियों व अन्य एजेंसियों पर आफत आ सकती है। सूत्रों की माने तो कोलकाता एयरपोर्ट को 50 सालों के लिए लीज पर दिया जा सकता है। कोलकाता एयरपोर्ट को एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया द्वारा संचालित एयरपोर्ट्स में पहला स्थान मिला था। महामारी के दौरान हुए नुकसान से वापसी करते हुए 145.3 करोड़ रुपये के लाभ के साथ देश में एएआई द्वारा प्रबंधित एयरपोर्ट्स में सबसे अधिक लाभ कमाने वाले हवाई अड्डे के रूप में उभरा था। वित्तीय वर्ष 2021-22 के ये आंकड़े हैं। जूनियर सिविल एविएशन मिनिस्टर वीके सिंह द्वारा इस सप्ताह राज्यसभा में सवाल-जवाब सत्र के दौरान इस बारे में बताया गया था।
कोलकाता एयरपोर्ट गेट वे है ईस्टर्न इंडिया का
दिल्ली हो या फिर मुम्बई सभी एयरपोर्ट फिलहाल प्राइवेट कंपनियों के हाथों में हैं। ऐसे में कोलकाता एयरपोर्ट के बारे में भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कोलकाता एयरपोर्ट का भी जल्द निजीकरण किया जा सकता है। सूत्रों की माने तो एयरपोर्ट के निजीकरण के दूसरे चरण में निजीकरण किए जाने वाले एयरपोर्ट की सूची में चेन्नई और वाराणसी जैसे अन्य प्रमुख एयरपोर्ट और इंदौर, जबलपुर और कुशीनगर जैसे छोटे एयरपोर्ट भी शामिल हैं। उड्ययन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इसके लिए मंत्रालय को अग्रिम भुगतान के रूप में 10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। देश के पूर्वी हिस्से में सबसे बड़ा एयरपोर्ट कोलकाता एयरपोर्ट है और इसे पूर्वी भारत का गेट वे भी कहा जाता है। यात्री यातायात के मामले में यह एयरपोर्ट भारत का पांचवां सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है।
3 साल पहले 6 एयरपोर्ट का हुआ था निजीकरण
कोलकाता एयरपोर्ट की बात उस दौरान चल रही थी लेकिन एयरपोर्ट पर होने वाले प्रदर्शन व भूख हड़ताल को देखते हुए इस एयरपोर्ट को उस दौरान प्राइवेटाइज नहीं किया गया। केन्द्र सरकार फिलहाल नयी रणनीति पर काम कर रही है। केंद्र सरकार की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत 2022 से 2025 के बीच कुल 25 हवाई अड्डों का निजीकरण करने की योजना है। जिन 6 एयरपोर्ट का वर्ष 2019 में निजीकरण किया गया था, उसमें लखनऊ, अहमदाबाद, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी तथा तिरुवंथपुरम आदि एयरपोर्ट शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने कोरोना के बाद यातायात में वृद्धि के कारण 2023-25 ​​के दौरान नागपुर समेत 25 और हवाई अड्डों का निजीकरण करने की योजना बनाई है। दस ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों में से, दुर्गापुर, कन्नूर, सिंधुदुर्ग और मोपा को संबंधित राज्य सरकारों द्वारा निजी डेवलपर्स की सहायता से विकसित किया गया है। जेवर, भोगापुरम, नवी मुंबई, कराईकल और डबरा में नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास भी निजी ऑपरेटरों को दिया जा रहा है।
इसका कारण है हो रहा घाटा
बीते 5 वर्ष में एएआई का घाटा 5285 करोड़ रुपए है। अगर इस अवधि के दौरान पुणे (महाराष्ट्र), कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और गोवा ने मुनाफा नहीं कमाया होता, तो घाटा आसमान छू गया होता। ये तीनों एयरपोर्ट 2020-21 और 2021-22 में भी कोविड महामारी के कारण घाटे में चल रहे थे। इन हवाई अड्डों ने 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2020 के बीच भारी मुनाफा कमाया। कोलकाता एएआई की लिस्ट में नम्बर 1 पर रहीं। ऐसे में कोलकाता एयरपोर्ट कर्मियों का कहना है कि अभी तक इस बारे में उन्हें नहीं पता है। इस बारे में एयरपोर्ट पर कार्यरत यूनियन के सदस्यों का कहना है कि कोलकाता एयरपोर्ट मुनाफा कमाने वाला एयरपोर्ट है। इसका प्राइवेटाइजेशन नहीं होना चाहिए। अगर केन्द्र सरकार ऐसा करती है तो हम ​इसका विरोध करेंगे।

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