हाेम लोन बढ़ने का असर पड़ेगा किफायती घरों की खरीदारी पर

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : जैसा कि पहले से अनुमान लगाया जा रहा था, उसी के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को अपनी रेपो रेट बढ़ाकर 6.5% तक कर दी। इस कारण रियल इस्टेट पर भी असर होने की संभावना दिख रही है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने से अब होम लोन पर ब्याज बढ़ेगा जिस कारण किफायती घरों की खरीदारी पर असर देखने को मिल सकता है।
‘किफायती घरों की मांग पर होगा असर’
क्रेडाई वेस्ट बंगाल के प्रेसिडेंट व मर्लिन ग्रुप के चेयरमैन सुशील मोहता ने कहा, ‘यह छठी बार है कि आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ा दी है। चूंकि 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी अनुमानित थी, लेकिन इसका असर हाउसिंग मार्केट पर होगा। विशेषकर किफायती घरों की मांग पर इसका असर देखा जा सकेगा। केंद्रीय बजट में भी मूल पर टैक्स में कोई राहत अथवा संपत्ति पर रिपेमेंट पर ब्याज में कोई छूट नहीं दी गयी थी। मुद्रास्फीति से मुकाबले के लिए बढ़ायी गयी रेपो रेट का कुछ असर घर खरीदारों पर पड़ेगा क्योंकि होम लोन पर ब्याज महंगा होने के साथ ही पिछले 2 क्वार्टर में संपत्तियों की कीमतें भी बढ़ी हैं। हालांकि लग्जरी रेसिडेंशियल मार्केट पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।’
आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी यूं डालती है प्रभाव
यहां उल्लेखनीय है कि रियल इस्टेट में मांग पर कई तरीकों से आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी प्रभाव डालती है। आरबीआई जब ब्या​ज दर बढ़ाता है तो संपत्ति खरीदने का खर्च महंगा हो जाता है जिससे आवासन सेक्टर में मांग कम हो जाती है। इसी तरह ब्याज दर कम करने पर खर्च कम होता है और इससे मांग बढ़ती है। इसके अलावा, एक विस्तारित मौद्रिक नीति, जो मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाती है, उससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है और अचल संपत्ति की मांग बढ़ती है। 9.5% तक हो सकता है ब्याज दर, बिक्री पर असर की संभावना
एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘गत एक वर्ष में पहले ही 5 बार दरों में वृद्धि की जा चुकी है। इस कारण घर खरीदारों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। होम लोन का ब्याज दर बढ़ने के साथ ही पिछले 2 से 3 क्वार्टर में संपत्तियों की कीमतें भी बढ़ी हैं। ऐसे में इस बार हुई वृद्धि के साथ ब्याज दर 9.5% से भी अधिक हो सकता है जिस कारण किफायती घरों और लोअर मिड रेंज वाले घरों की बिक्री पर असर पड़ेगा। किफायती सेगमेंट पहले से ही सुस्ती में है और इस इजाफे से जाहिर तौर पर मदद नहीं मिलेगी।’ उम्मीद है कि घर खरीदने का सेंटिमेंट नहीं होगा कम नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन व एमडी शिशिर बैजल ने कहा, ‘ हाउसिंग सेक्टर समेत विभिन्न प्रोडक्ट कैटेगरी में कीमतें बढ़ी हैं। वहीं आज की वृद्धि के बाद उधार लेने की लागत 10-15 बीपीएस तक और बढ़ सकती है। हाउसिंग सेक्टर में रेट में वृद्धि का असर सीमित ही रहेगा। गत एक वर्ष में नाइट फ्रैंक के एफॉर्डेबिलिटी का सूचकांक औसत तौर पर 1.4% ही कम हुआ है। गत वर्ष होम लोन की मांग अच्छी थी और दिसम्बर 2022 तक इसमें 16% की बढ़ोतरी भी देखी गयी थी। उम्मीद है कि रेट में वृद्धि से घर खरीदने के सेंटिमेंट पर असर नहीं पड़ेगा।’
इण्डस्ट्री एक्सपर्टस् का मानना है कि अर्थव्यवस्था में विश्वास का मौद्रिक नीति से गहरा संबंध है। अगर सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था को सुचारू तौर पर मैनेज कर रहा है और स्थिरता बनाये रख रहा है तो इससे उपभोक्ताओं का विश्वास और साथ में रियल इस्टेट में मांग बढ़ेगी।

कुछ समय के लिए घर खरीदार टाल सकते हैं अपना निर्णय

मर्लिन ग्रुप के एमडी साकेत मोहता ने कहा, रेपो रेट 6.5% होने के साथ हाउसिंग मार्केट पर इसका असर देखने को मिलेगा। वैश्विक मंदी के कारण एपेक्स बैंक ने अपनी नीतियों में कड़ाई लायी है जिससे होम लोन पर भी असर पड़ेगा। होम बायर्स के सेंटिमेंट हर्ट होंगे और कुछ समय के लिए घर खरीदने का ​​निर्णय भी होम बायर्स टाल सकते हैं। हालांकि घरों की मांग बरकरार रहेगी और सीरियस होम बायर्स घर खरीदेंगे। चूंकि बजट में भी कोई राहत नहीं दी गयी, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सर्किल रेट और स्टैम्प ड्यूटी में छूट से मार्च तक घरों की मांग इसी तरह बने रहने की उम्मीद है। वहीं रेपो रेट में वृद्धि से लग्जरी घरों की खरीदारी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

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