
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस राजाशेखर मंथा ने स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) के चेयरमैन सिद्धार्थ मजुमदार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब किया है। जस्टिस मंथा ने आदेश दिया है कि उन्हें वृहस्पतिवार को सुबह साढ़े दस बजे कोर्ट में उपस्थित रहना पड़ेगा। कोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किए जाने से नाराज जस्टिस मंथा ने उन्हें तलब किया है। इसके साथ ही सरकार ने माना है कि सहायक अध्यापकों के पद अवैध रूप से नियुक्तियां की गई हैं।
एडवोकेट सुभाष जाना ने यह जानकारी देते हुए बताया कि तन्मय सिन्हा सहित पांच लोगों ने रिट दायर कर के आरोप लगाया है कि मेरिट लिस्ट में उनसे कम के रैंक वालों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्तियां दी गई है। यह एसएलएसटी 2016 का मामला है जिसके तहत कक्षा नौ और दस के लिए सहायक अध्यापकों के पद पर नियुक्तियां की गई थी। जस्टिस मंथा ने मामले की सुनवायी के बाद सात जून को एसएससी को आदेश दिया था कि 16 जून को इस बाबत एक रिपोर्ट दाखिल करे। बहरहाल रिपोर्ट तो दाखिल की गई लेकिन उस रिपोर्ट को देख कर जस्टिस मंथा भड़क गए। रिपोर्ट संतोषजनक नहीं थी और बेहद ही अस्पष्ट थी। हाई कोर्ट के आदेश पर बेहद लापरवाही के साथ अमल किया गया था। जस्टिस मंथा एसएससी पर जुर्माना लगाने पर आमादा थे, पर उन्होंने इसे अगली सुनवायी तक के लिए टाल दिया। इस मौके पर सुनवायी के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट भाष्कर वैश्य ने माना कि मेरिट लिस्ट में नीचे रहे आवेदकों को नियुक्ति दी गई है। एसएससी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट सुतनु पात्र ने इसका विरोध नहीं किया। यानी उन्होंने भी इसकी तस्दीक कर दी। इसके बाद ही जस्टिस मंथा ने आदेश दिया कि इस तरह अवैध रूप से नियुक्त किए गए सहायक अध्यापकों की सूची 22 जून को कोर्ट में पेश की जाए। बुधवार को मामले की सुनवायी के दौरान एसएससी के एडवोकेट इस तरह की कोई सूची पेश नहीं कर पाएं। उनकी दलील थी कि सीबीआई ने जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के आदेश पर डाटा रूम को सील कर दिया है इसलिए सूची नहीं पेश कर पा रहे हैं। यह सुनते ही जस्टिस मंथा भड़क गएं और उन्होंने सवाल किया कि यह बात 16 जून को क्यों नहीं कही गई थी। इसके बाद ही उन्होंने एसएससी के चेयरमैन को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दे दिया।