
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : राज्य सरकार के कर्मचारियों को डीए देने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस रवींद्रनाथ सामंत के डिविजन बेंच में वृहस्पतिवार को हुई सुनवायी अधूरी रह गई। अब शुक्रवार को भी होगी। इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ अपील की गई है।
राज्य सरकार की दलील है कि केंद्र की दरों पर कर्मचारियों के डीए दिये जाने की कोई बाध्यता नहीं है। राज्य सरकार के पास इस बाबत कानूनी अधिकार है। तत्कालीन जस्टिस देवाशिष करगुप्ता के डिविजन बेंच ने 2020 में यह फैसला सुना दिया था कि डीए पाना कर्मचारियों का बुनियादी अधिकार है। इससे पहले ट्राईब्यूनल ने फैसला सुनाया था कि डीए सरकारी अनुकंपा है और सरकार चाहे तो नहीं भी दे सकती है। इसके खिलाफ दायर अपील पर सुनवायी के बाद जस्टिस देवाशिष करगुप्ता के डिविजन बेंच ने फैसला सुनाया था कि डीए बुनियादी अधिकार है। किस दर पर डीए दी जाएगी इस बाबत फैसला लेने के लिए इसे वापस ट्राईब्यूनल के पास भेज दिया था। अब ट्राईब्यूनल ने फैसला सुनाया है कि केंद्र सरकार की दर पर ही राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को डीए देना पड़ेगा। इसके खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से अपील दायर की गई है।