स्वास्थ्य विभाग ने कहा, कम हो रहे सांस सम्बन्धी संक्रमण के मामले

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मेडिकल कॉलेज में हुई 2 बच्चों की मौत
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियाँ हुईं रद्द
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एक तरफ़ स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि राज्य में अब सांस सम्बन्धी संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है। वहीं दूसरी ओर सांस सम्बन्धी तकलीफ़ों के कारण बच्चों की मौत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गयी हैं।विभाग की ओर से नोटिफ़िकेशन जारी कर कहा गया कि राज्य के मौजूदा हालातों को देखते हुए सभी को अपने स्टेशनों पर उपस्थित रहना होगा।इसके अलावा 24X7 फ़ीवर क्लिनिक भी चालू रहना चाहिए।गत सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अब तक 19 बच्चों की मौत हुई है जिनमें से 6 बच्चों की मौत एडिनोवायरस के कारण हुई।
यह कहा स्वास्थ्य विभाग ने
स्वास्थ्य विभाग की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि अस्पतालों में रोज़ाना भर्ती के दैनिक आँकड़ों से पता चलता है कि अब साँस सम्बन्धी संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं।उम्मीद है कि होली के बाद मौसम में बदलाव के साथ मामलों में तेजी से गिरावट आएगी।हालांकि कोई कमी स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं छोड़ी जा रही और दोल व होली पर भी सभी अस्पतालों की इमर्जेन्सी व आउट्डोर सेवाएँ बहाल रहेंगी।
फिर रेफ़रल से हुई बच्चों की मौत
पहले ही कहा गया था कि कोलकाता में मामले काफ़ी कम हो रहे हैं और अधिकतर बच्चों की मौत रेफ़रल के कारण हो रही है।ज़िलों से नाज़ुक स्थिति में और बेड की स्थिति का पता किए बग़ैर संक्रमण से ग्रसित बच्चों को कोलकाता के अस्पतालों में रेफ़र कर दिया जा रहा है जिस कारण मौतों की संख्या बढ़ रही है।एक बार फिर रेफ़रल के कारण दो बच्चों की मौत हुई है।इसमें एक हावड़ा के उलुबेरिया व दूसरा हुगली के मोगरा का था।हावड़ा के बच्चे को उलुबेरिया अस्पताल से गत 26 फ़रवरी को कोलकाता मेडिकल में भर्ती किया गया था।मंगलवार की शाम लगभग 7 बजे उसकी मौत हो गयी।वहीं मोगरा के बच्चे को चुनचुड़ा इमामबाड़ा अस्पताल से गत 27 फ़रवरी को कोलकाता मेडिकल में भर्ती कराया गया था।मंगलवार की रात लगभग 1.30 बजे उसकी मौत हो गयी।
अस्पतालों में है पूरी तैयारी
लगभग 2500 ‘सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट’,654 पीडियाट्रिक इंटेन्सिव केयर यूनिट व 120 एनआईसीयू बेड तैयार किए गए हैं।शिशु अस्पतालों के अलावा सभी जिला व सरकारी अस्पतालों में एआरआई के इलाज की व्यवस्था की गयी है। राज्य के 121 अस्पतालों में 5000 से अधिक बेड की व्यवस्था की गयी है।अस्पतालों में 600 शिशु रोग विशेषज्ञों को रखा गया है।ओपीडी में कम से कम एक शिशु रोग विशेषज्ञ को रखा गया है, साथ ही टेलिमेडिसिन की व्यवस्था भी की गयी है।

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