
बर्खास्तगी के मामले में डिविजन बेंच का दखल से इनकार
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप डी के 1911 कर्मचारियों की वेतन वापसी के आदेश पर हाई कोर्ट ने अंतरिम स्टे लगा दिया है। जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस सुप्रतीम भट्टाचार्या के डिविजन बेंच ने इस बाबत दायर अपील पर वृहस्पतिवार को सुनवायी के बाद यह आदेश दिया। अलबत्ता डिविजन बेंच ने उनकी बर्खास्तगी के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया। हांलाकि उनकी तरफ से सिंगल बेंच के पूरे आदेश पर लगाने की अपील की गई थी।
हाई कोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने इन 1911 कर्मचारियों को अभी तक वेतन के रूप में ली गई रकम को वापस करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) से इनकी नियुक्ति के लिए दिए गए संस्तुति पत्र को वापस लेने का आदेश दिया था। इस तरह इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त हो गई थी। इसके साथ ही वेटिंग लिस्ट से नये कर्मचारियों की नियुक्ति की जाने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ ही डिविजन बेंच में अपील की गई थी। उनकी तरफ से आधा दर्जन से अधिक एडवोकेटों ने पैरवी की। उनकी दलील थी कि वेटिंग लिस्ट 2019 में चार मई को एक्सपायर हो चुकी थी। लिहाजा इस वेटिंग लिस्ट से नियुक्ति दिए जाने का आदेश अवैधानिक है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का भी हवाला दिया गया। इसके साथ ही कहा गया कि इलेक्ट्रोनिक एविडेंस को स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें हेराफेरी की गुंजाइश होती है। यहां गौरतलब है कि सीबीआई ने इलेक्ट्रोनिक एविडेंस का हवाला देते हुए ओएमआर शीट में हेराफेरी किए जाने की रिपोर्ट दाखिल की है। इस पर जस्टिस तालुकदार ने सवाल किया कि यह एक तकनीकी मामला है। अगर अभी हियरिंग का मौका दिया जाता है तो इसमें क्या बदलाव आ सकता है। यह दस्तावेजों का मामला है और एसएससी जानता है कि क्या सही है और क्या गलत है। बचाव पक्ष की दलील थी कि उन्हें सुनने का मौका नहीं दिया गया। बोर्ड की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट सुतनु पात्र ने कहा कि अभी तक किसी ने यह दावा नहीं किया है कि यह ओएमआर शीट उसका नहीं है। उन्होंने कहा कि गलती हुई थी और अब इसे सुधारने का वक्त आया है। एडवोकेट विकासरंजन भट्टाचार्या ने कहा कि पिटिशनरों की दलील में कोई नई बात नहीं है। किसी ने यह दावा नहीं किया है कि उनकी नियुक्ति नियमानुसार हुई थी। उन्होंने पिटिशन को खारिज करने की अपील की। अब इसकी सुनवायी तीन मार्च को होगी।