कोलकाता : बंगाल में पहली बार आईसीडीएस सेंटर में बच्चों में ऑटिज्म जांच के लिए सर्वे शुरू किया गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस कोलकता, स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नारी व शिशु कल्याण विभाग द्वारा यह पहल की गयी है। इसका आंकड़ा पेश करते हुए शुक्रवार को विधानसभा में मंत्री डॉ. शशि पांजा ने कहा कि आईसीडीएस सेंटर में आने वाले बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण हैं या नहीं इसकी जांच के लिए सर्वे शुरू किया गया है। आईसीडीएस कर्मियों को डॉक्टरों की सलाह पर एक प्रश्नमाला दी जाती है। जो बच्चे आईसीडीएस सेंटर में आते हैं उनके माता पिता से उनके बच्चों को लेकर दिये गये प्रश्न पूछे जाते हैं और टीक करके उसे तैयार किया जाता है। यह 18 महीने से 6 साल उम्र तक के बच्चों में किया जा रहा है। डॉ. शशि पांजा ने बताया कि अभी तक 49 लाख बच्चों में यह सर्वे किया गया है उनमें से 5840 बच्चों में संदेह हुआ। इनमें से 176 बच्चे ऑटिज्म से शिकार हैं इसकी पुष्टि हुई जिन्हें अस्पताल ले जाया गया। 5840 में से बाकी बच्चों में अन्य बीमारी के लक्षण पाये गये हैं मगर उनमें ऑटिज्म नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है किसी भी अन्य राज्य में ऐसा सर्वे हो रहा है।
6 साल की उम्र के पहले इलाज शुरू करना बेहतर
मंत्री ने कहा कि अगर सही समय पर 6 साल से पहले अगर इलाज शुरू हो जाता है तो बच्चे के लिए काफी अच्छा होता है। उसे समान्य जीवन में लौटाना आसान हो जाता है। अगर किसी बच्चे में यह समस्या है तो इसमें देरी हाेने पर समस्या और बढ़ सकती है।
क्या है ऑटिज्म
किसी बच्चे का मानसिक विकास अन्य बच्चों के मुकाबले सामान्य नहीं देखने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। अगर बच्चे का दिमाग अन्य बच्चों की तुलना में अलग तरीके से काम करता दिखे तो माता पिता को अलर्ट हो जाना चाहिए। इसे मेडिकल की भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर भी कहते हैं।