
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एसएससी घोटाले में गिरफ्तार मंत्री पार्थ चटर्जी के घर पर छापामारी अभियान के दौरान ईडी अधिकारियों को 7 संपत्ति की डीड की कॉपियां मिली हैं। ये सभी डीड अर्पिता मुखर्जी के नाम पर हैं। इसके अलावा मंत्री के घर से दो पेन ड्राइव भी बरामद किये गये हैं। शनिवार को बैंकशाल कोर्ट में मंत्री पार्थ चटर्जी की पेशी के दौरान ईडी के वकील ने उक्त जानकारी अदालत को दी। सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों को सुनते हुए कहा कि मामला एमपी एमएलए कोर्ट से जुड़ा हुआ है। ऐसे में सोमवार को अभियुक्त को एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया जाए। इसके साथ ही दो दिनों तक उन्हें ईडी की कस्टडी में रखा जाए। बाद में मंत्री के वकील द्वारा अपील की गयी कि उनकी तबीयत खराब है, ऐसे में उन्हें अस्पताल में भेजा जाए। उस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें इलाज के लिए एसएसकेएम अस्पताल भेज दिया। अस्पताल में वह ईडी की देखरेख में रहेंगे। इससे पहले ईडी की तरफ से कहा गया कि मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से 21.20 करोड़ रुपये नकद मिले हैं। इसके साथ ही जांच अधिकारियों ने दावा किया कि अर्पिता के घर से मिले रुपये का पार्थ के साथ संबंध है इसके पुख्ता सबूत उनके पास हैं। ईडी की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट भाष्कर प्रसाद बनर्जी ने कहा कि एसएससी घोटाले में सीबीआई जो जांच कर रही है उससे ईडी की जांच का कोई लेनादेना नहीं है। ईडी की तरफ से 14 जगहों पर तलाशी अभियान चलाया गया जिनमें से दो जगह अत्यधिक संदेहजनक थे। इनमें से एक पार्थ चटर्जी का घर और दूसरा अर्पिता मुखर्जी का घर है। अर्पिता के घर से 21.20 करोड़ रुपये मिले हैं। दोनों के बीच के संबंध के सबूत जांच अधिकारियों को मिले हैं। ईडी ने दावा किया कि फर्जी कंपनी बनाकर संपत्ति खरीदकर रुपये का हेरफेर किया गया है। इसमें से कुछ रुपये को अर्पिता के घर में छिपाकर रखा गया था। ईडी की ओर से बताया गया कि संपत्ति खरीदने की रसीद उन्हें मिली है। ऐसे में किस-किस जगह पर किस-किस नाम से संपत्ति खरीदी गयी है, इसका पता लगाने के लिए हिरासत में लेकर मंत्री से पूछताछ की जरूरत है। ईडी ने कहा कि आम लोगों के रुपये का गबन किया गया है। गबन के रुपये अर्पिता के अकाउंट में भी गए हैं। वहीं दूसरी ओर मंत्री पार्थ चटर्जी की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट देवाशिष राय, संजय बसु और संदीपन गांगुली ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को सिर्फ पूछताछ करने की अनुमति दी थी। किसी को गिरफ्तार करने को नहीं कहा गया था। सीबीआई के तलब करने पर पार्थ चटर्जी दो बार सीबीआई के समक्ष पेश हुए थे। एडवोकेट के वकील ने कहा कि मंत्री के घर से जेरॉक्स कॉपी के अलावा और कोई कागज नहीं मिला है। एक भी रुपया भी नहीं मिला है। पार्थ के वकील ने ईडी से प्रश्न किया कि सीबीआई के प्राथमिक मामले में अभी कुछ नहीं हुआ फिर भी ईडी को इतनी जल्दबाजी किस चीज की है। 27 घंटे तक अवैध तरीके से मंत्री को बंधक बनाकर रखा गया। मंत्री के वकील ने अदालत को बताया कि राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित होकर उनकी गिरफ्तारी की गयी है।