डीजल व पेट्रोल की कीमतों ने बढ़ायी परेशानी, ऐप कैब चलाना छोड़ रहे हैं लोग

  • पहले ऐप कैब की संख्या थी 25,000
  • अब घटकर केवल 5,000 हो गयी

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : वर्ष 2014 के आस-पास कोलकाता में जब ओला व उबेर जैसे ऐप कैब आये थे तो उस समय इनसे हो रहे लाभ के कारण काफी लोग इन ऐप कैब्स से जुड़े थे। कई मामलों में तो लोगों ने अपनी नौकिरयां छोड़कर खुद का ऐप कैब निकाला और खुद ही चलाने भी लगे। हालांकि अब पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतों ने ऐप कैब ड्राइवरों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। ऐसे में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने ऐप कैब को अपने घरों में रख दिया है और कैब चलाने के बजाय कुछ और करके अपना गुजारा कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल है ऐप कैब चलाने वाले शेख आलमगीर का।
शेख आलमगीर एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करता था। लगभग 6 वर्षों पहले अपनी नौकरी छोड़कर उसने खुद का ऐप कैब निकाला था। यह सोचकर कि ऐप कैब में अच्छा लाभ है। सब कुछ ठीक – ठाक चल रहा था, लेकिन कोरोना के कहर के कारण लॉकडाउन और फिर डीजल व पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण गत फरवरी महीने से उसने ऐप कैब चलाना बंद कर दिया है। उसके घर में उसकी पत्नी और 2 बेटियां हैं। गत 25 फरवरी के बाद से वह ऐप कैब नहीं चला रहा है क्योंकि लॉकडाउन और अब पेट्रोल व डीजल की कीमतों ने परेशानियों को चौगुना कर दिया है। शेख आलमगीर अभी आम बेचकर अपना गुजारा कर रहा है। उसने कहा, ‘पहले अगर दुर्गापुर जाना होता था तो अच्छा लाभ मिल जाता था, लेकिन अब तो पेट्रोल खर्च में ही सब चला जा रहा है। आगे भी ऐप कैब चला पाऊंगा या नहीं, इस पर तय नहीं किया है। इन सबके ऊपर गाड़ी के सभी कागजात ठीक रखने होते हैं, कई तरह की परेशानियां हो रही हैं।’ ना केवल शेख आलमगीर बल्कि कुछ और लोगों का भी यही हाल है। बेहला के रहने वाले मनोज चक्रवर्ती ने भी ऐप कैब चलाना बंद कर दिया है। वर्ष 2014 से ही वह ऐप कैब चलाता आ रहा था, लेकिन लॉकडाउन और पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमतों के कारण स्थितियां काफी बदल गयी हैं। उसने कहा, ‘अभी कुछ इमरजेंसी होने पर ही गाड़ी चलाता हूं।’ तन्मय चक्रवर्ती आउटस्टेशन ऐप कैब चलाता था, लेकिन गत वर्ष लॉकडाउन से ही उसने चलाना बंद कर दिया है क्योंकि कोरोना काल में बाहर जाने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो गयी है। ऐसे में कोई लाभ ऐप कैब में नजर नहीं आता। तन्मय की पत्नी और एक बेटा है। उसने कहा, ‘कभी-कभी नौबत ऐसी हो जा रही है कि घर की चीजें तक बेचनी पड़ रही हैं। किसी तरह गुजारा चल रहा है।’
महानगर में काफी घट गयी है ऐप कैब की संख्या
वेस्ट बंगाल ऑनलाइन कैब ऑपरेटर्स गिल्ड के सचिव इंद्रनील बनर्जी ने सन्मार्ग को बताया, ‘ऐप कैब जब कोलकाता में निकला था तो उसके बाद से गत वर्ष लॉकडाउन के पहले तक कोलकाता की सड़कों पर लगभग 25,000 ऐप कैब चलते थे। हालांकि गत वर्ष अनलॉक के बाद से अब कोलकाता में ऐप कैब की संख्या घट कर लगभग 5,000 पर सिमट गयी है। किसी ने ईएमआई नहीं दे पाने तो​ किसी की गाड़ी में खराबी, किसी के द्वारा किश्त नहीं जमा कर पाने के कारण ऐप कैब की संख्या घट गयी है। अब पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतों ने ऐप कैब मालिकों को और बुरी हालत में ला दिया है।’

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